भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां 75 फीसदी से अधिक आबादी की आजीविका खेती और पशुपालन पर निर्भर है. ये आबादी गांवों में रहती है. इनमें से अधिकांश लोग सीमांत किसान हैं, जिनके पास 2 से 3 एकड़ ही जमीन है. ये सीमांत किसान खेती के साथ-साथ अधिक कमाई के लिए मुर्गी पालन भी करते हैं. लेकिन जानकारी के अभाव में उन्हें कभी-कभी मुर्गी पालन में नुकसान भी उठाना पड़ता है. क्योंकि गर्मी के मौसम में मुर्गियां बीमार पड़ जाती हैं. वहीं, लू लगने की वजह से कई बार तो मुर्गियों की मौत भी हो जाती है. लेकिन सीमांत किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. वे नीचे बताए गए तरीकों को अपनाकर मुर्गियों को बीमार पड़ने से बचा सकते हैं.
पशुपालन एक्सपर्ट की माने तो मुर्गी पालन एक ऐसा बिजनेस है, जिसे कम पूंजी में ही शुरू किया जा सकता है, क्योंकि इसके लिए बहुत कम जगह और कम समय की जरूरत होती है. इसके अलावा मुर्गियों के चारे पर भी ज्यादा खर्च नहीं करने पड़ते हैं. खास बात यह है कि गांव में रहने वाले कम पढ़े-लिखे पुरुष और महिलाएं भी मुर्गी पालन शुरू कर सकते हैं.
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एक्सपर्ट का कहना है कि गर्मी के मौसम में मुर्गियां बहुत बीमार पड़ती हैं. ज्यादा गर्मी पड़ने पर उनकी मौत भी हो जाती है. इसलिए मुर्गी का फार्म हमेशा हवादार स्थान पर ही बनाएं, ताकि उसके अंदर ताजी और ठंडी हवा आती रहे. अगर इसके बावजूद भी मुर्गियां गर्मी से परेशान हैं, तो उनके ऊपर पानी का छिड़काव भी कर सकते हैं. उससे उनके शरीर का तापमान कंट्रोल रहेगा और वे स्वस्थ्य रहेंगी.
इसके अलावा मौसम के हिसाब से मुर्गियों का चारा खिलाएं. उन्हें हमेशा संतुलित आहार दें. फार्म में उनको पीने के लिए हमेशा पानी रखें. इससे उनका विकास तेजी से होता है और वजन भी बढ़ता है. खास बात यह है कि मुर्गी प्रोटीन का काफी सस्ता और अच्छा स्त्रोत है. देसी मुर्गी के अंडे में काफी अधिक प्रोटीन होता है. क्योंकि अंडे में बहुत अधिक फैटी एसिड पाया जाता है. जानकारों का कहना है कि देसी मुर्गी का अंडा हृदय रोगियों के लिए भी फायदेमंद होता है.
जानकारी के लिए बता दें कि मुर्गी पालन घाटे का बिजनेस नहीं है. इसमें लागत के मुकाबले काफी अधिक मुनाफा होता है. ऐसे मुर्गी पालन पर सबसे अधिक खर्च उसके आहार पर ही होता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, मुर्गी पालन करने वाले लोगों को 70 फीसदी खर्च सिर्फ उसके आहार पर ही करना पड़ता है. सबसे बड़ी बात यह है कि मुर्गी पालन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी कई तरह की योजनाएं चला रही हैं. किसानों को इसके लिए सब्सिडी भी दी जाती है.
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