Bakrid: दूसरे देशों को भी चाहिए भारतीय नस्ल के जमनापारी बकरे, जानें वजह

Bakrid: दूसरे देशों को भी चाहिए भारतीय नस्ल के जमनापारी बकरे, जानें वजह

सीआईआरजी के सीनियर साइंटिस्ट और जमनापारी नस्ल के एक्सपर्ट डॉ. एमके सिंह का कहना है कि इस नस्ल का वजन रोजाना 120 से 125 ग्राम तक बढ़ता है. शारीरिक बनावट और सफेद रंग का होने के चलते इनकी खूबसूरती देखते ही बनती है. इसीलिए ईद पर भी इनकी खासी डिमांड रहती है. 

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Bakrid: दूसरे देशों को भी चाहिए भारतीय नस्ल के जमनापारी बकरे, जानें वजहjamnapari bakra

बकरीद पर कुर्बानी के बकरे की पहली शर्त ही उसकी खूबसूरती है. और इस मामले में जमनापारी बकरे को कान ही नहीं आंखे भी खूबसूरत बनाती हैं. नाक और पैरों पर थाई के पास आने वाले बाल इस नस्ल के बकरे की एक खास पहचान है. यही इसकी खूबसूरती भी है. लम्बी कद-काठी के चलते जमनापारी नस्ल के बकरों की डिमांड विदेशों तक में है. यही वजह है कि दूसरे देशों की सरकार भी भारत की सरकार से जमनापारी नस्ल के बकरों की डिमांड करती हैं. बकरे-बकरियों की नस्ल सुधार के लिए जमनापारी नस्ल का इस्तेमाल देश ही नहीं विदेशों में भी किया जा रहा है. 

इस नस्ल को थ्री इन वन नस्ल भी कहा जाता है. इसकी खासियत ये है कि इस नस्ल को दूध, मीट और बच्चा देने के मामले में दूसरी नस्ल से बहुत खास माना जाता है. नेपाल, भूटान, इंडोनेशिया, फिलीपींस, मलेशिया आदि देश में इस नस्ल के बकरे भेजे जा चुके हैं. खासतौर पर सफेद रंग में पाए जाने वाले यह बकरे सामान्य से ज्यादा लम्बे होते हैं. देखने में भी खूबसूरत होते हैं. 

ये हैं जमनापारी बकरों की खासियत 

  • जमनापारी बकरे इटावा, यूपी के चकरनगर और गढ़पुरा इलाके में पाए जाते हैं. यमुना और चम्बल के बीहड़ वाला इलाका होने के चलते यहां बकरियों के लिए चराई की अच्छी सुविधा है. 
  • जमनापारी यूपी की एक खास नस्ल है. इसके अलावा यह मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में भी पाई जाती है.
  • यह देश का लम्बाई में एक बड़े आकार वाला बकरा है. इसके कान भी लम्बे नीचे की ओर लटके हुए होते हैं.  
  • रंग आमतौर पर सफेद होता है. कभी-कभी कान और गले पर लाल रंग की धारियां भी होती हैं. 
  • नाक उभरी हुई होती है और उसके आसपास बालों के गुच्छें होते हैं. 
  • बकरे-बकरी दोनों के पीछे के दोनों पैर के ऊपर लम्बे बाल होते हैं.
  • बकरे और बकरी दोनों में ही सींग पाए जाते हैं. 
  • बकरे का वजन 45 किलो और बकरी का वजन 38 किलो तक होता है. 
  • बकरा 90 से 100 सेमी और बकरी 70 से 80 सेमी ऊंची होती हैं.  
  • जमनापरी का बच्चा 4 किलो वजन तक का होता है. 
  • 20 से 25 महीने की उम्र पर पहला बच्चा देती है. 
  • जमनापारी दूध के साथ ही यह मीट के लिए भी पाली जाती है. 
  • देश में जमनापरी बकरियों की कुल संख्या 25.56 लाख है. 
  • प्योर जमनापरी ब्रीड बकरियों की संख्या 11.78 लाख है.  

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