Fisheries Sector: मछली पालन सेक्टर में ट्रेसेबिलिटी पर राष्टीय फ्रेमवर्क जारी, जलीय कृषि को ऐसे मिलेगा बड़ा फायदा

Fisheries Sector: मछली पालन सेक्टर में ट्रेसेबिलिटी पर राष्टीय फ्रेमवर्क जारी, जलीय कृषि को ऐसे मिलेगा बड़ा फायदा

भारत सरकार ने मत्स्य पालन और जलीय कृषि में ट्रेसेबिलिटी पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क 2025 जारी किया है. सरकार ने कहा कि यह ढांचा समुद्री खाद्य उत्पादों की 'खेत से प्लेट तक' और 'पकड़ से उपभोक्ता तक' रियल टाइम, एंड-टू-एंड ट्रैकिंग को सक्षम करेगा. मत्स्य पालन विभाग ने कहा कि इन कोशिशों का मकसद फिशरीज के इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाना है.

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मछली पालन सेक्टर में ट्रेसेबिलिटी पर राष्टीय फ्रेमवर्क जारी, जलीय कृषि को ऐसे मिलेगा बड़ा फायदादस सालों में 96 से 195 लाख टन हुआ भारत का मछली उत्पादन

सरकार ने शुक्रवार को फिशरीज और एक्वाकल्चर में ट्रेसेबिलिटी पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क 2025 जारी किया, जिससे 2030 तक ₹1 लाख करोड़ के सीफूड एक्सपोर्ट का टारगेट हासिल करने में मदद मिल सकती है. सरकार ने मैरीकल्चर पर SOPs, स्मार्ट और इंटीग्रेटेड फिशिंग हार्बर के विकास और प्रबंधन, नोटिफाइड मरीन फिश लैंडिंग सेंटर्स पर न्यूनतम बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के साथ-साथ रिजर्वायर फिशरीज़ प्रबंधन और कोस्टल एक्वाकल्चर के लिए गाइडलाइंस जैसी दूसरी पहलें भी जारी कीं. मत्स्य पालन विभाग ने एक बयान में कहा कि इन कोशिशों का मकसद मिलकर फिशरीज के इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाना, सस्टेनेबिलिटी के तरीकों को मज़बूत करना और पूरे सेक्टर में वैल्यू एडिशन में तेज़ी लाना है. इसे फिशरीज़ और एक्वाकल्चर सेक्टर में बड़ा मील का पत्थर बताया गया है.

केंद्रीय मत्स्य पालन मंत्री ने दिया बड़ा संदेश

केंद्रीय मत्स्य पालन मंत्री राजीव रंजन सिंह ने एक वीडियो संदेश के ज़रिए कहा कि भारत एक्सपोर्ट कॉम्पिटिटिवनेस बढ़ाने के लिए इनोवेशन को बढ़ावा देने और ग्लोबल पार्टनरशिप बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. ऑफिशियल बयान के मुताबिक, उन्होंने स्टेकहोल्डर्स से सीफूड वैल्यू चेन को मजबूत करने के लिए मिलकर काम करने की अपील की. ​​इसके लिए वे पैकेजिंग में सुधार करें, सर्टिफिकेशन स्टैंडर्ड्स को पूरा करें और नए मार्केट तक पहुंचने के लिए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स का फायदा उठाएं.

मंत्री राजीव रंजन ने ग्लोबल बेंचमार्क के साथ तालमेल बिठाने के लिए ट्रेसेबिलिटी, ब्रांडिंग और बायोसिक्योरिटी को मजबूत करने के महत्व पर भी जोर दिया और राष्ट्रीय ट्रेसेबिलिटी फ्रेमवर्क के लॉन्च को एक बड़ा बदलाव लाने वाला मील का पत्थर बताया, जो सीफूड एक्सपोर्ट को बढ़ावा देगा और मछुआरों को बेहतर रिटर्न दिलाने में मदद करेगा.

दस सालों में 96 से 195 लाख टन हुआ मछली उत्पादन

मत्स्य पालन राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन ने बताया कि पिछले दस सालों में भारत का मछली उत्पादन 96 लाख टन (lt) से दोगुना होकर 195 lt हो गया है, जिसका श्रेय फ्लैगशिप प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत ₹38,572 करोड़ के निवेश को जाता है. उन्होंने कहा कि 2030 तक सीफ़ूड एक्सपोर्ट को ₹1 लाख करोड़ तक बढ़ाने का लक्ष्य है, जिसमें हाई-वैल्यू, वैल्यू-एडेड प्रोडक्ट्स का हिस्सा 30 प्रतिशत होगा.

फिशरीज सेक्रेटरी अभिलक्ष लिखी ने कहा कि भारत का फिशरीज सेक्टर हर साल 9 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है और FY 2024-25 में सीफ़ूड एक्सपोर्ट 16.85 लाख टन तक पहुंच जाएगा, जो पिछले दस सालों में 88 प्रतिशत की बढ़ोतरी है. उन्होंने भारत को एक लीडिंग ग्लोबल सीफ़ूड प्रोसेसिंग हब बनाने के लिए वैल्यू एडिशन, डाइवर्सिफिकेशन और रेगुलेटरी कम्प्लायंस पर सरकार के फोकस पर ज़ोर दिया.

मत्स्य पालन पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क की उपयोगिता

फिशरीज और एक्वाकल्चर में ट्रेसेबिलिटी पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क का मकसद एक नेशनल डिजिटल ट्रेसेबिलिटी सिस्टम बनाना है, और ब्लॉकचेन, IoT, QR कोड और GPS जैसे डिजिटल टूल्स को एकीकृत करके अलग-अलग ट्रेसेबिलिटी प्रैक्टिस को एक करने के लिए एक पूरी रणनीति बताता है, साथ ही छोटे मछुआरों और किसानों के लिए सबको शामिल करना भी पक्का करता है. सरकार ने कहा कि यह ढांचा समुद्री खाद्य उत्पादों की 'खेत से प्लेट तक' और 'पकड़ से उपभोक्ता तक' रियल टाइम, एंड-टू-एंड ट्रैकिंग को सक्षम करेगा.

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