Dairy Milk: पब्लिसिटी नहीं साइंटिफिक रिसर्च से दूर होगा Al-A2 दूध का भ्रम- RS Sodhi

Dairy Milk: पब्लिसिटी नहीं साइंटिफिक रिसर्च से दूर होगा Al-A2 दूध का भ्रम- RS Sodhi

बीते कुछ साल से देश ही नहीं विदेशी बाजार में भी Al-A2 दूध को लेकर बहस जारी है. डेयरी एक्सपर्ट का कहना है कि Al और A2 दूध को उसमे पाए जाने वाले खास बीटा-कैसिइन प्रोटीन को लेकर अच्छा माना जाता है. हालांकि Al और A2 बीटा-कैसिइन दोनों गाय के दूध में पाया जाता है. A2 दूध को कुछ लोगों के लिए पचाना आसान माना जाता है, इसीलिए A2 दूध की मांग बढ़ रही है. 

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Dairy Milk: पब्लिसिटी नहीं साइंटिफिक रिसर्च से दूर होगा Al-A2 दूध का भ्रम- RS SodhiA1 ,A2 मिल्क

भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) के दो अलग-अलग फैसलों ने Al-A2 दूध की लड़ाई में मानों आग में घी डालने का काम किया हो. पहले इस बात पर रोक लगाना कि खुले बाजार समेत आनलाइन प्लेटफार्म पर कोई भी A2 दूध से बना घी और डेयरी प्रोडक्ट कहकर नहीं बेच सकता है. बाकायदा इसके लिए एक ऑर्डर जारी किया गया था. लेकिन दो-तीन दिन बाद ही FSSAI ने एक और आर्डर जारी कर अपने पहले वाले आर्डर को पलट दिया. जिसके बाद से Al-A2 दूध की लड़ाई और तेज हो गई है. 

वहीं इस बारे में इंडियन डेयरी एसोसिएशन (IDA) के प्रेसिडेंट डॉ. आरएस सोढ़ी का कहना है कि Al-A2 दूध की लड़ाई पब्लिंसिटी नहीं साइंटिफिक रिसर्च से खत्म होगी. ग्राहकों के सामने दोनों तरह के दूध की खासियत सामने लानी होंगी. क्योंकि बिना किसी ठोस आधार और रिसर्च के दूध में बंटवारा करना डेयरी किसान और डेयरी कंपनियों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है.  

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मौका है घरेलू और इंटरनेशनल डिमांड पूरी करने का

डॉ. आरएस सोढ़ी का कहना है कि भारत में कई तरह की देशी गायों की नस्लें पाई जाती हैं, जिनमें से कुछ ऐसी हैं जो प्राकृतिक रूप से A2 दूध का उत्पादन करती हैं. A2 दूध की हमारे यहां कोई कमी नहीं है. यही वजह है कि इसके बाजार का फायदा उठाया जाए. इंडियन डेयरी सेक्टर के पास ये घरेलू और इंटरनेशनल बाजारों की डिमांड पूरी करने का ये एक बड़ा मौका है. ये दोनों ही बाजार तेजी से A2 दूध की मांग कर रहे हैं.

हालांकि, हमें यह भी सोचना होगा कि भारत के दूध का एक बड़ा हिस्सा संकर गायों से आता है जो Al और A2 दूध का मिश्रण पैदा करती हैं. लेकिन हमारे लिए ये जरूरी है कि A2 दूध को बढ़ावा देते हुए Al और A2 दूध के बीच संतुलन बनाना भी बहुत जरूरी है. डेयरी प्रोडक्ट बेचने के लिए A2 दूध का प्रचार इस तरह से किया जाना चाहिए कि ग्राहक को जागरुक किया जाए, डेयरी किसानों की इनकम पर असर ना पड़े और डेयरी सेक्टर को प्रभावित करने वाला ना हो. 

A2 दूध के बारे में क्या कहती है इंडियन डेयरी एसोसिएशन 

  1. IDA A2 दूध से जुड़े स्वास्थ्य दावों को मान्य करने के लिए साइंटीफिक रिसर्च का समर्थन करती है. उपभोक्ताओं को स्पष्ट, तथ्यात्मक जानकारी दी जानी चाहिए, जिससे वो प्रचार के बजाय विश्वसनीय वैज्ञानिक आधार पर विकल्प बना सकें.
  2. भारतीय नस्ल की गायों को बढ़ावा देने के लिए सरकार और डेयरी सेक्टर को स्वदेशी A2 उत्पादक पशुओं के प्रजनन को प्रोत्साहित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए. इसी से बाजार की बढ़ती मांग को पूरा करते हुए किसानों की इनकम में सुधार होगा. 
  3. उपभोक्ताओं को Al और A2 दूध के बीच के अंतरों के बारे में जागरुक करना, दोनों दूध के पोषण संबंधी फायदों के बारे में बताना जरूरी है. दूध के बारे में गलत सूचना और अफवाहें परेशानी खड़ी कर सकती है. IDA खुद भी मौजूदा गलत धारणाओं को स्पष्ट करने के लिए लगातार प्रचार कर रहा है. 
  4. आज A2 दूध का अपना बाजार है, लेकिन हमें यह तय करना होगा जो ज्यादातर डेयरी किसान Al या मिक्स दूध का उत्पादन करते हैं वो पीछे न छूट जाएं. जबकि जरूरी ये है कि दूध की कुल गुणवत्ता, झुंड की उत्पादकता और किसान कल्याण में सुधार पर ध्यान दिया जाना चाहिए, फिर चाहें दूध का उत्पादन किसी भी प्रकार का हो.
  5. Al और A2 दूध दोनों की क्षमता का इस्तेमाल इस तरह किया जाए जिससे किसानों से लेकर ग्राहक तक सभी को फायदा हो.

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