Animal Care: आज से ही इन 12 टिप्स पर शुरू कर दें काम, मॉनसून में नहीं घटेगा दूध उत्पादन, पढ़ें डिटेल Animal Care: आज से ही इन 12 टिप्स पर शुरू कर दें काम, मॉनसून में नहीं घटेगा दूध उत्पादन, पढ़ें डिटेल
Animal Care in Monsoon मॉनसून के दौरान पशुओं को संक्रमित रोग होते ही उसका सबसे पहला असर दूध उत्पादन पर पड़ता है. पशु गंभीर रोग से बीमार भी हो जाता है. लेकिन, अगर वक्त रहते कुछ ऐहतियाती कदम उठा लिए जाएं तो इस तरह की परेशानी और आर्थिक नुकसान से बचा जा सकता है. साथ ही हमारे पशु भी हेल्दी रहेंगे.
थनैला की जांच का तरीकानासिर हुसैन - NEW DELHI,
- Jun 23, 2025,
- Updated Jun 23, 2025, 11:54 AM IST
Animal Care in Monsoon बीमारी हो, मौसम में बदलाव हो या फिर पशु तनाव में हो तो सबसे पहली गाज पशु के उत्पादन पर गिरती है. वजह कोई भी हो, लेकिन दूध उत्पादन सबसे पहले घटता है. और दूध उत्पादन कम होते ही पशुपालन की लागत बढ़ जाती है. खासतौर पर मॉनसून के दौरान दूध उत्पादन घटने की आशंका बढ़ जाती है. पशुपालकों को मॉनसून में दूध उत्पादन घटने का डर इसलिए भी सताता है कि ये वो वक्त होता है जब खासतौर से भैंसों का प्रजनन शुरू होता है.
और प्रजनन के बाद ही गाय-भैंस दूध देना शुरू करती हैं. गौरतलब रहे ज्यादातर पशुपालक जुलाई को ध्यान में रखकर ही पशुपालक प्लान के हिसाब से पशुओं को गाभिन कराते हैं. और यही वो महीना है जब मौसम बदलता है. मौसम बदलने के साथ ही कई तरह की बीमारियां भी आती हैं. इसके लिए सरकार की ओर से एडवाइजरी भी जारी की जाती है जिससे घर पर ही कुछ जरूरी कदम उठाय जा सकें.
जुलाई में इन 12 टिप्स का रखें खास ख्याल
- जुलाई में बारिश होती है इसलिए पशुओं के बाड़े को सूखा और साफ रखें.
- गर्मी और नमी वाली संक्रमित बीमारियों से पशुओं को बचाना चाहिए.
- बारिश की वजह से जुलाई में परजीवी और बाहरी परजीवी का असर काफी ज्यादा होता है.
- जुलाई में ज्यादातर पशुपालक भैंसों से बच्चा लेते हैं, इसलिए पशुपालकों को प्रजनन संबंधी सावधानी के साथ नवजात की सुरक्षा हेतु पूरी जानकारी प्राप्त होनी चाहिए. गाभिन गाय-भैंस को अलग साफ हवादार सूखा स्थान पर रखना चाहिए.
- जुलाई में अच्दे दूध उत्पादन के लिए जरूरी मात्रा में मिनरल मिक्चर की मात्रा पशु चिकित्सक की सलाह पर दिया जाना चाहिए.
- कम मात्रा में या बिल्कुल भी मिनरल मिक्चर नहीं दिए जाने से पशुओं को बीमारी हो सकती हैं.
- हरे चारे के खेतों में जानवरों को नहीं जाने दें. खासतौर से ज्वार के खेत में नहीं जाने दें.
- लम्बी गर्मी के बाद अचानक से बारिश के बाद जब हरे चारे की बढ़वार होती है उसमें साइनाइड जहर पैदा होने लगता है. इसके चलते चारा जहरीला हो जाता है. ऐसी फसल को समय पूर्व कच्ची अवस्था में न काटें और ना ही जानवरों को खिलायें.
- चारा एक्सपर्ट के मुताबिक जुलाई हरा चारा बोने के लिए सही वक्त होता है.
- हरे चारे की बीज मात्रा 25-30 किलोग्राम प्रति एकड़ इस्तेमाल करें.
- हर सीजन में पशुओं को खिलाई जाने वाली चारा घासों को जुलाई में लगाया जा सकता है.
- संतुलित पशु आहार के लिए मक्का, बाजरा, लोबिया और ज्वार की एक साथ बोआई करें. इससे आने वाले वक्त में पशुओं के लिए हरे चारे की कमी नहीं होगी.
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