Goat Conclave: बकरी महाकुंभ में मंत्री ने बताया गांधीजी क्यों पालते थे बकरी, गाय क्यों नहीं पाली

Goat Conclave: बकरी महाकुंभ में मंत्री ने बताया गांधीजी क्यों पालते थे बकरी, गाय क्यों नहीं पाली

केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा में बकरी महाकुंभ का आयोजन किया गया था. इसमे देशभर से आए बकरी पालकों ने हिस्सा लिया. इस मौके पर एनिमल हसबेंडरी कमिश्नर ने बताया कि देश में बकरी पालन तेजी से बढ़ रहा है. सीआईआरजी के डायरेक्टर ने जानकारी दी की बकरी पालन की ट्रेनिंग करने वालों की संख्या बढ़ रही है. 

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Goat Conclave: बकरी महाकुंभ में मंत्री ने बताया गांधीजी क्यों पालते थे बकरी, गाय क्यों नहीं पालीबकरी महाकुंभ में स्टॉल देखते केन्द्रीय राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल.

महात्मा गांधी जहां भी जाते थे तो उनके साथ एक बकरी चलती थी. ये गोहिलवाड़ी नस्ल की बकरी थी. आज भी एक फोटो ऐसा है जिसमे गांधीजी के साथ ये बकरी खड़ी हुई दिख जाती है. लेकिन गांधीजी ने बकरी ही क्यों पाली, गाय क्यों नहीं पाली. ये सवाल था डेयरी और पशुपालन केन्द्रीय राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल का. और मौका था बकरी महाकुंभ का. पहली बार केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा में बकरी महाकुंभ का आयोजन किया गया था. पशुपालन मंत्री ने बताया कि गांधीजी बकरी के दूध की वैल्यू जानते थे. 

साथ ही बकरी पालकर उन्होंने एक सामाजिक संदेश भी दिया था. क्योंकि उस वक्त बकरी को गरीब की गाय कहा जाता था. हालांकि गुजरात में बहुत ही उन्नत नस्ल की गिर गाय भी होती है. ज्यादा दूध देने के साथ दूध की वैल्यू भी है, फिर भी गांधीजी ने बकरी ही पाली और उसका दूध भी पिया. इसलिए बकरी पालन और उसके दूध को कम नहीं समझा जाना चाहिए. 

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बकरे-बकरी कम और डिमांड ज्यादा

सीआईआरजी के डायरेक्टर मनीष चेटली ने बताया कि बकरी पालन की तरफ हर वर्ग के लोगों का रुझान बढ़ रहा है. आंकड़े गवाह है कि बकरी पालन करने वालों की संख्या बढ़ रही है. लोग साइंटीफिक तरीके से प्योर नस्ल के साथ बकरी पालन करना चाहते हैं. यही वजह है कि हमारे संस्थान में 17 हजार बकरे-बकरियों की डिमांड आई थी. लेकिन हमारे पास संख्या उतनी नहीं है तो हम 17 हजार के मुकाबले में सिर्फ छह हजार ही बकरे-बकरियां दे सके हैं. ट्रेनिंग के लिए आने वाले किसानों की संख्या को देखते हुए हॉस्टल की कमी भी महसूस की जा रही है. हालांकि इस मामले में डीडीजी एनिमल साइंस राघवेन्द्र भट्टा ने बड़ा ऐलान करते हुए हर संभव मदद का ऐलान किया है.

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लैब से लैंड तक लानी होगी एनिमल रिसर्च

बकरी महाकुंभ में अलग-अलग राज्यों से आए पशुपालकों को संबोधि‍त करते हुए एसपी सिंह बघेल ने कहा कि हम दूध उत्पादन में नंबर वन हैं और अंडा उत्पादन में तीसरे नंबर पर हैं. यह बात सही है कि हमारे पशुपालकों की मेहनत की बदौलत ये मुकाम हासिल हुआ है. लेकिन इसके पीछे की पशुपालन से जुड़ी साइंटिस्ट की रिसर्च को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता है. इसलिए ये जरूरी हो जाता है कि लैब में जो रिसर्च हो रही है उसे लैंड यानि पशुपालक तक ले जाएं.     
 

 

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