पोल्ट्री फार्म का प्रतीकात्मक फोटो.ऐसा नहीं है कि पोल्ट्री फार्म में पलने वालीं मुर्गियों की सेहत का कोई ख्याल नहीं रखा जाता है. जबकि हकीकत ये है कि खाने-पीने से लेकर मुर्गियों के रखरखाव पर पैनी नजर रखी जाती है. मुर्गियों के वजन पर खास ध्यान दिया जाता है. क्योंकि ऐसा नहीं किया तो मुर्गियों की जान जोखिम में आ जाती है. पोल्ट्री फार्मर को भी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. यही वजह है कि मुर्गियों को समय-समय पर जरूरत के हिसाब से डाइटिंग कराई जाती है. मुर्गियों के लिए डाइट प्लान बनाया जाता है.
और ये सब होता है मुर्गियों से हर रोज एक साबुत अंडा लेने और उनकी जान बचाने के लिए. इसलिए सर्दी हो या गर्मी अंडे देने वाली मुर्गी लेयर बर्ड को बहुत ही नापतौल के साथ दाना खाने को दिया जाता है. जैसे ही लगता है कि किसी मुर्गी का वजन बढ़ रहा है तो उसे दूसरी मुर्गियों से अलग रखकर दाना खिलाया जाता है.
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पोल्ट्री एक्सपर्ट मनीष शर्मा ने किसान तक को बताया कि रोज अंडा देने वाली लेयर बर्ड की सेहत पर बहुत ध्यान देने की जरूरत होती है. अगर जरा सा भी आपका ध्यान मुर्गियों के ऊपर से हटा तो आपकी मुर्गी जान से जा सकती है. खास बात यह है कि अंडा देने वाली मुर्गी का वजन तय है. मुर्गी ने एक हफ्ते पहले अंडा देना शुरू किया है या उसे अंडा देते हुए एक साल हो गया है, उसका वजन इधर से उधर नहीं होना चाहिए. अगर आप चाहते हैं कि मुर्गी बिना किसी परेशानी के अंडा देती रहे तो उसका वजन हमेशा 13 सौ ग्राम से लेकर 17 सौ ग्राम के बीच ही रहना चाहिए. अगर 17 सौ ग्राम के बाद मुर्गी का वजन 50-100 ग्राम भी बढ़ा तो मुर्गी के शरीर में चर्बी बढ़ने लगेगी. मुर्गी की ओबरी पर भी चर्बी बढ़ने लगती है. इसके चलते मुर्गी को अंडा देने में परेशानी होती है. इतना ही नहीं कई बार तो अंडा फंस जाता है. कभी-कभी अंडा मुर्गी के शरीर में फंसकर अंदर टूट भी जाता है. इससे मुर्गी की मौत तक हो जाती है.
मनीष ने बताया कि चूंकि अंडा देने वाली मुर्गी लेयर नस्ल की होती है. ये मुर्गी साल के 365 दिन में से 285 से लेकर 310 तक अंडे देती है. इसलिए खासतौर पर इसकी सेहत का बहुत ख्याल रखना होता है. साथ ही पोल्ट्री फार्म के बजट के हिसाब से भी चलना होता है. सर्दियों के मौसम में लेयर मुर्गी 105 ग्राम तक दाना खाती है. सर्दियों में मुर्गी पानी कम पीती है इसलिए पांच ग्राम तक दाना ज्यादा खाती है. जबकि गर्मियों में मुर्गियों को 100 ग्राम दाना दिया जाता है. पोल्ट्री फार्म के संचालन के हिसाब से यह दाना उन्हें दिन में तीन से चार बार में दिया जाता है.
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