मौसम में बदलाव का असर इंसानों से लेकर जानवरों तक में देखने को मिलता है. अत्यधिक सर्दी हो या गर्मी, दोनों ही एक समय के बाद हानिकारक साबित होते हैं. ऐसे में अगर पशुओं की बात करें तो गर्मी अधिक होने के कारण दुधारू पशुओं की दूध देने की क्षमता कम हो जाती है. जिससे पशुपालकों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ता है. इसी कड़ी में केरल कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (मिल्मा) ने पशुपालकों के लिए एक ठोस कदम उठाया है.
केरल कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (मिल्मा) ने गर्मियों के दौरान दूध की पैदावार में गिरावट के कारण आय में होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए डेयरी किसानों के लिए एक बीमा योजना शुरू की है. मिल्मा ने भारतीय कृषि बीमा कंपनी लिमिटेड (एआईसी) के साथ 'सरल कृषि बीमा' नामक पशु बीमा योजना शुरू करने के लिए एक दूसरे के साथ हाथ मिलाया है.
यह बीमा गर्मी के महीनों के दौरान तापमान में वृद्धि के कारण मवेशियों में दूध उत्पादन में कमी के कारण होने वाले आर्थिक नुकसान के खिलाफ पशुपालकों की रक्षा के लिए बनाया गया है। यानी इस योजना के तहत पशुपालकों को अधिक गर्मी से किसानों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सकेगा.
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मिल्मा के अधिकारियों ने कहा कि शुरू में, मिल्मा द्वारा एआईसी और एआईएमएस बीमा के साथ लागू की गई योजना, मालाबार क्षेत्रीय सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ (एमआरसीएमपीयू) के तहत डेयरी किसानों के लिए उपलब्ध होगी. गायों और भैंसों को कवर करने वाली यह योजना किसानों के लिए बीमा लाभ की गारंटी देती है. ऐसे में अगर तापमान लगातार छह दिनों या उससे अधिक होता है तो इस वजह से दूध की उपज में भारी गिरावट आती है.
योजना के तहत, पलक्कड़ और वायनाड जिलों में तापमान की सीमा 37 डिग्री सेल्सियस, कन्नूर और कासरगोड में 34.5 डिग्री सेल्सियस, मलप्पुरम में 33.5 डिग्री सेल्सियस और कोझिकोड में 33 डिग्री सेल्सियस आंकी गई है. यदि तापमान छह दिनों से अधिक के लिए सीमा से अधिक है, तो किसानों को 140 रुपये , आठ दिनों से अधिक के लिए 440 रुपये, दस दिनों से अधिक के लिए 900 रुपये और 25 दिनों से अधिक के लिए, 2,000 रुपये का मुआवजा दिया जाएगा. किसान डेयरी सहकारी समितियों के माध्यम से योजना के लिए पंजीकरण कर सकते हैं, जिससे वे संबंधित हैं. बीमा कंपनी सेटेलाइट के इस्तेमाल से इन क्षेत्रों में तापमान रिकॉर्ड करेगी जिसके बाद किसानों को लाभ दिया जाएगा.
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