डेयरी व्यवसाय की सफलता की आधारशिला दुधारू पशुओं की सही नस्ल का चुनाव है. नए डेयरी फार्म के आसपास के संभावित ग्राहकों की प्राथमिकताओं और बाजार की मांग को समझना बेहद अहम है. इसलिए, डेयरी शुरू करने वाले व्यक्ति को सबसे पहले अपने डेयरी के आसपास के दूध बाजार का सावधानी पूर्वक आकलन करना चाहिए. इसमें यह जानकारी एकत्र करना शामिल है कि क्या दूध सीधे व्यक्तिगत घरों, कैंटीनों, होटलों, छात्रावासों आदि को बेचा जाएगा, या निजी या सहकारी डेयरियों के दूध खरीद केंद्रों के माध्यम से बेचनी है.
अगर आप पड़ोस के व्यक्तिगत घरों की मांग को पूरा करने की योजना बना रहे हैं, तो भैंस स्पष्ट रूप से आपके क्षेत्र के लिए सबसे अच्छा विकल्प हो सकती हैं, खासकर अगर वहां भैंस के दूध की अधिक मांग है. इसके विपरीत, अगर आप पहले से स्थापित सहकारी या निजी डेयरियों और उनके दैनिक दूध संग्रह केंद्रों का लाभ उठाना चाहते हैं, तो आप गायों या भैंसों में से किसी का भी चयन कर सकते हैं, क्योंकि यहां दूध का भुगतान मुख्य रूप से खरीदे गए दूध की वसा सामग्री के आधार पर किया जाता है.
हालांकि गायें प्रति दिन अधिक दूध देती हैं और उनका दुग्धपान काल भी लंबा होता है, लेकिन उनमें वसा की मात्रा कम (लगभग 2.5 - 5%) होती है. दूसरी ओर, भैंस गायों की तुलना में प्रति दिन कम दूध देती हैं और उनका दुग्धपान काल भी छोटा होता है, लेकिन उनमें वसा का प्रतिशत अधिक (लगभग 5.5 - 10%) होता है. बड़े औद्योगिक प्रतिष्ठानों के आसपास मिठाई की दुकानों, होटलों, छात्रावासों और कैंटीनों जैसे प्रमुख ग्राहकों के लिए, गायों और भैंसों दोनों का चयन किया जा सकता है. निस्संदेह, गायें भैंसों की तुलना में अधिक दूध देती हैं, लेकिन वे भैंसों की तुलना में अधिक महंगी भी होती है.
उदाहरण के लिए, प्रति दिन 10 लीटर दूध देने वाली भैंस की कीमत लगभग 40,000 - 50,000 रुपये हो सकती है. दिलचस्प बात यह है कि लगभग उसी कीमत में प्रति दिन 15 - 16 लीटर तक दूध देने वाली गाय मिल सकती है. डेयरी व्यवसाय को लगातार फायदे के साथ चलाने के लिए, चाहे आप गाय चुनें या भैंस, यह जरूरी है कि वे अधिक दूध देने वाली हों जो गायों में 10 लीटर प्रतिदिन दिन अधिक दे रही हो और भैंसों के मामले में 8 लीटर प्रतिदिन से अधिक दूध दे रही हो.
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किसी भी डेयरी की सफलता, जिसमें कुल दूध उत्पादन, शुद्ध फायदा ज्यादा मिले इस आधार पर डेयरी नस्लो का चुनाव करना जरूरी है , चुने गए नस्लों के प्रकार और उनकी दूध उत्पादन क्षमता के साथ-साथ उनकी वंशावली पर बहुत अधिक निर्भर करती है. इसलिए, यह जरूरी है बेहतर दूध उत्पादन क्षमता और बेहतर वंशावली वाली नस्लों का ही चयन किया जाए.
हमारी अधिकांश देसी नस्लें कम दूध उत्पादन होती हैं, इसलिए उनके दूध उत्पादन और समग्र उत्पादन में सुधार की संभावना बहुत कम या नगण्य है. इसके विपरीत, जर्सी और होल्स्टीन फ्रीजियन जैसी 100 फीसदी विदेशी नस्लें उच्च दूध उत्पादक के रूप में जानी जाती हैं, लेकिन वे हमारे भारतीय य जलवायु के लिए अनुपयुक्त हैं. इसका एकमात्र समाधान देसी और विदेशी नस्लों के क्रॉस ब्रिड का चयन करना चाहिए है, जो दोनों के लाभों को जोड़ती हैं. हमारी जलवायु और पालन-पोषण की परिस्थितियों के लिए देसी नस्लों की बेहतर अनुकूलन क्षमता और विदेशी नस्लों की उच्च दूध उत्पादन क्षमता का लाभ मिलता है पिछले 40 -50 के अनुभवों के अनुसार, सबसे बे्हतर विकल्प है प् देसी और विदेशी क्रॉस ब्रिड 50 - 62.5% आनुवंशिक गुण हो. विभिन्न विदेशी नस्लों में से, होल्स्टीन फ्रीजियन और जर्सी क्रॉस ब्रीडिंग गाये बेहतर मानी जाती है क्योंकि वे हमारी जलवायु और पालन-पोषण या प्रबंधन के लिए सरल बेहतर अनुकूल हैं.
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जर्सी की तुलना में, होल्स्टीन फ्रीजियन प्रति अधिक दूध देती है. हालांकि, जर्सी में अधिक गर्मी तापमान के प्रति होल्स्टीन फ्रीजियन की तुलना में बेहतर सहनशीलता होती है. इसलिए, जर्सी उन सभी छोटे और सीमांत किसानों के लिए एक पसंदीदा विकल्प है जो आर्थिक रूप से इतने मजबूत नहीं हैं और डेयरी को कृषि के एक संबद्ध गतिविधि के रूप में अपनाना चाहते हैं . भारतीय नस्लों में गिर और साहिवाल भी दूध उत्पादन के मामले में बेहतर विकल्प हैं. दूसरी ओर, जो किसान आर्थिक रूप से काफी मजबूत हैं और व्यावसायिक स्तर पर डेयरी व्यवसाय में प्रवेश करना चाहते हैं, उनके लिए उच्च दूध उत्पादन वाली होल्स्टीन फ्रीजियन, गिर और साहिवाल सबसे अच्छे विकल्प होंगे.जहां तक भैंसों का संबंध है, हमारे देश के लिए सबसे आदर्श नस्ल "ग्रेडिड मुर्रा भैंस" है. इसके बाद भदावरी नस्ल को भी अच्छा माना जाता है. हाल ही में, दक्षिणी जाफराबादी नस्ल भी राज्य में तेजी से लोकप्रिय हो रही है.अगर दुधारू पशुओं का पालन आर्थिक रूप से तो हमेशा बेहतर अधिक दूध उत्पादन वाली नस्लों का चयन करना चाहिए जिनके माता-पिता या आनुवंशिक पृष्ठभूमि बेहतर रही हो.
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