Calf Care: आने वाले मौसम में ऐसा होगा गाय-भैंस का व्यवहार, अभी से कर लें ये उपाय Calf Care: आने वाले मौसम में ऐसा होगा गाय-भैंस का व्यवहार, अभी से कर लें ये उपाय
Calf Care Winter बदलता मौसम और वो भी सर्दियों का, इस मौसम में पशु बहुत परेशान होते हैं. उनकी ज्यादा से ज्यादा कोशिश यही होती है कि वो अपने शरीर को गर्म रखें. इसके लिए वो झुंड में रहना पसंद करते हैं. इस दौरान इस कोशिश में कई बार उनके चोट वगैरह भी लग जाती है. इसलिए आने वाले कुछ महीने पशुओं को खास देखभाल की जरूरत होती है.
छोटी नस्ल वाली गायनासिर हुसैन - New Delhi,
- Sep 22, 2025,
- Updated Sep 22, 2025, 1:24 PM IST
Calf Care Winter पशुपालन के लिहाज से आने वाला सर्दियों का मौसम खराब माना जाता है. इस मौसम में पड़ने वाली कड़ाके की ठंड का सीधा असर पशु यानि गाय-भैंस पर पड़ता है. इस मौसम में छोटा पशु भेड़-बकरी हो या बड़ा पशु गाय-भैंस, सभी अपने शरीर का तापमान बनाए रखने के लिए सामान्य से ज्यादा खाते हैं. इसलिए ये जरूरी है कि इस वक्त उन्हें अच्छी गुणवत्ता वाला चारा जैसे अच्छी घास, अनाज (मकई, जौ, गेहूं, जई) खिलाई जानी चाहिए. इतना ही नहीं पशुओं की खुराक में धीरे-धीरे बदलाव किया जाना चाहिए. बदलते मौसम की वजह से पशु तनाव में भी आता है, इसलिए तनाव के दौरान उत्पादन न घटे और पशुओं को कोई बीमारी न हो तो उन्हें खनिज मिश्रण की खुराक देना जरूरी है.
इस मामले में कभी भी गुणवत्ता और मात्रा को लेकर लापरवाही न बरतें. अगर पशु ठंड से पीड़ित हो तो उसे गुनगुना पानी ही पिलाएं. जिससे फीड के सेवन और पोषक तत्वों के इस्तेमाल पर कोई विपरीत असर न पड़े. साथ ही नियमित रूप से खुर की जांच करते रहें. खुर की ट्रिमिंग और उपचार करके उन्हें हेल्दी बनाए रखें.
नवजात बछड़ों के लिए कैसे होने चाहिए इंतजाम
- जन्म के तुरंत बाद नवजात शिशु को साफ करें और पशु को सांस लेना शुरू करवाएं.
- नाभि की नाल को स्टेरलाइज़्ड कैंची या ब्लेड से काटा जाना चाहिए.
- बछड़े की नाभि के कटे हुए हिस्से पर टिंचर आयोडीन, एंटीसेप्टिक लगाना चाहिए.
- जन्म के एक-दो घंटे के में पशु को कोलोस्ट्रम पिलाएं जो माँ का पहला दूध होता है.
- कोलोस्ट्रम इम्युनोग्लोबुलिन से भरपूर होता है जो प्रतिरक्षा को बढ़ाता है.
- कोलोस्ट्रम में खनिज और विटामिन की भरपूर मात्रा में होती है.
- कोलोस्ट्रम में रेचक गुण होने के कारण पहला मल आसानी से बाहर निकल जाता है.
- पशु को 10 दिन की उम्र में कृमि मुक्त करना जरूरी होता है.
- 21 दिन बाद फिर से कृमिनाशक दवाई को दोहराया जाना चाहिए.
- आम तौर पर जन्म के समय बछड़े का वजन 30 किलोग्राम होता है.
- सुबह 1.5 किलोग्राम कोलोस्ट्रम और शाम को भी उतना ही दिया जाना चाहिए.
- कोलोस्ट्रम न हो तो 300 मिली गर्म पानी में एक अंडा और 600 मिली दूध, आधा चम्मच अरंडी का तेल मिलाएं.
- एक चम्मच मछली का लीवर ऑयल और 80 मिलीग्राम ओरियोमाइसिन पाउडर भी मिलाएं.
- 15 दिनों के बाद बछड़े को सूखा चारा और सांद्रण दिया जा सकता है.
- दिए जाने वाले सांद्रण को हर हफ्ते 50-100 ग्राम तक बढ़ाया जा सकता है.
- तीन महीने की उम्र में पशु हरा रेशेदार चारा खाने में सक्षम हो जाता है.
- यदि बच्चे में अतिरिक्त थन मौजूद है, तो उसे प्रारंभिक अवस्था में ही काट देना चाहिए.
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