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Maharashtra: नासिक में फिर लौटा लंपी का प्रकोप, 122 पशु संक्रमित-25 एक्टिव केस

Maharashtra: नासिक में फिर लौटा लंपी का प्रकोप, 122 पशु संक्रमित-25 एक्टिव केस

संक्रमण को देखते हुए नासिक के कलेक्टर जलज शर्मा ने वैसे पशुओं को दूसरी जगह पर ले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है. जिन पशुओं का नेशनल डिजिटल लाइवस्टॉक मैनेजमेंट पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है, उन पशुओं को भी दूसरी जगह पर ले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.

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जानलेवा है लंपी रोग जानलेवा है लंपी रोग

महाराष्ट्र के नासिक में पशुओं में लंपी बीमारी का प्रकोप देखा जा रहा है. हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस जिले में 122 से अधिक पशु इस बीमारी से संक्रमित पाए गए जिनमें 25 एक्टिव केस हैं. नासिक में पहले भी इस बीमारी का प्रकोप देखा गया है. इसलिए माना जा रहा है कि पशुओं का यह खतरनाक त्वचा रोग फिर से पैरा पसारना शुरू कर दिया है. इस रोग से संक्रमित पशुओं की चमड़ी पर गांठें बनती हैं जिससे रिसाव होता है. बाद में यह घाव में तब्दील हो जाती हैं जो पशुओं के लिए जानलेवा साबित होती है.

पशुपालन विभाग के डिप्टी कमिश्नर डॉ. प्रशांत धर्माधिकारी ने 'टाइम्स ऑफ इंडिया' को बताया कि पिछले साल जिस तेजी से लंपी बीमारी फैली थी, उसके मुकाबले इस दफे इसकी गति धीमी है. इस बार किसी पशु की मौत की खबर नहीं है. 122 मवेशियों के संक्रमित होने और 25 एक्टिव केस सामने आए हैं.

पशु मेले पर प्रतिबंध नहीं

संक्रमण को देखते हुए नासिक के कलेक्टर जलज शर्मा ने वैसे पशुओं को दूसरी जगह पर ले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है. जिन पशुओं का नेशनल डिजिटल लाइवस्टॉक मैनेजमेंट पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है, उन पशुओं को भी दूसरी जगह पर ले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. दूसरे पशुओं में इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है. हालांकि दशहरा और दिवाली को देखते हुए पशु बाजारों को चलाने की अनुमति दी गई है.

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एक अधिकारी ने कहा, स्थानीय वेटनरी डॉक्टरों और कर्मचारियों को किसी भी पशु में लंपी का लक्षण दिखने पर सख्ती बरतने और कड़ी निगरानी करने का आदेश दिया गया है. इस बीमारी के अधिकांश मामले सिन्नार, उसके बाद निफाड़ और येवोला में देखे गए हैं. ये सभी इलाके अहमदनगर जिले से सटे हुए हैं. 

गोट पॉक्स का लगा टीका

अधिकारी ने यह भी बताया कि नासिक में 8.63 लाख पशुओं को टीका लगाया गया है जो कि कुल पशुओं का 99.2 परसेंट हिस्सा है. इन पशुओं को गोट पॉक्स वैक्सीन लगाई गई है. हालांकि यह टीका पशुओं में लंपी बीमारी के खतरे को कम करता है. अभी तक लंपी के खिलाफ टीका उपलब्ध नहीं है, इसलिए पशुओं को अभी तक इसे नहीं लगाया गया है. गोट पॉक्स का वैक्सीनेशन अप्रैल में शुरू हुआ था जिसे हर साल जारी रखने का निर्णय लिया गया है. जिस स्थान पर लंपी के संक्रमण का पता चलता है, उसके 5 किमी के दायरे को इनफेक्टेड जोन और 10 किमी के दायरे को सर्विलांस जोन घोषित किया जाता है. लंपी स्किन डिजीज वायरस के प्रकोप से फैलता है जो पशुओं के लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है.

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