Artificial Insemination: कृत्रिम गर्भाधान के लिए गांव-गांव पहुंचेगी लिक्विड नाइट्रोजन, जानें कैसे 

Artificial Insemination: कृत्रिम गर्भाधान के लिए गांव-गांव पहुंचेगी लिक्विड नाइट्रोजन, जानें कैसे 

सरकार ने पशुओं का बीमा कराने के लिए मंगला पशु बीमा योजना भी शुरू की है. योजना के तहत एक साल में 21 लाख पशुओं का बीमा कराया जाएगा. वहीं राज्य के 29 जिलो में एआई की जरूरत पूरी करने के लिए तीन हजार लीटर की क्षमता वाले लिक्विड नाइट्रोजन साइलों की स्थापना की गई है. 

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Artificial Insemination: कृत्रिम गर्भाधान के लिए गांव-गांव पहुंचेगी लिक्विड नाइट्रोजन, जानें कैसे जल्द ही पशुपालकों को सेक्स सॉर्टेड सीमेन की सस्ती स्ट्रा मिलने लगेगी.

पशुओं के नस्ल सुधार कार्यक्रम और उत्पादन बढ़ाने के लिए कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination) पर जोर दिया जा रहा है. सभी सरकारी पशु स्वास्थ्य केन्द्रों पर इसकी सुविधा मौजूद है. पशुपालकों को इसके लिए जागरुक भी किया जाता है. इसी कड़ी में राजस्थान सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है. राज्य सरकार का ये कदम एआई को पशुपालकों के लिए और ज्यादा सुविधाजनक बनाएगा. इसी साल जून में सरकार ने ये योजना शुरू की थी. योजना के तहत सरकार ने लिक्विड नाइट्रोजन वाहन उपलब्ध कराए हैं. राज्य के 15 जिलों को ये वाहन दिए गए हैं. 

इन वाहनों से ही अब एआई के लिए इस्तेमाल होने वाली लिक्विड नाइट्रोजन के सिलेंडरों की ढुलाई होगी. साथ ही सिलेंडर को लोड-अनलोड करने के लिए वाहनों में पुलिंग सिस्टम भी लगाया गया है. बुधवार को पशुपालन मंत्री जोराराम कुमावत ने लिक्विड नाइट्रोजन परिवहन वाहनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. इस मौके पर उन्होंने पशुपालकों के लिए शुरू की गईं और भी योजनाओं की चर्चा की. 

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जानें एआई में क्यों होती है लिक्विड नाइट्रोजन की जरूरत

एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो एआई सीमेन स्ट्रॉ से होती है. स्ट्रॉ खराब ना हो और उसकी क्वालिटी बरकरार रहे इसके लिए लिक्विड नाइट्रोजन का इस्तेमाल किया जाता है. सीमेन की स्ट्रॉ को रखने के लिए एक बर्तन की जरूरत होती है. इस बर्तन में पहले लिक्विड नाइट्रोजन भरी जाती है. इसी लिक्विड नाइट्रोजन में ही सीमेन की स्ट्रॉ रखी जाती हैं. और जब भी जितनी स्ट्रॉ की जरूरत होती है वो निकाल ली जाती हैं. और ऐसा करने के दौरान बर्तन में रखीं दूसरी स्ट्रॉ पर कोई असर नहीं पड़ता है.  

हेल्प लाइन पर मिल रही मोबाइल वेटरिनरी की सुविधा 

जोराराम कुमावत ने बताया कि पशुओं की बीमारी और एआई की सुविधा देने के लिए राज्य में हेल्प लाइन सेवा भी दी जा रही है. इसके लिए हेल्प लाइन नंबर 1962 जारी किया गया है. अगर पशु बीमार हैं तो इस नंबर पर फोन कर सूचना देने के बाद डॉक्टरों की टीम मौके पर पहुंच जाती हैं. पशुओं के शेड में ही उसका इलाज किया जाता है. इतना ही नहीं अगर गाय-भैंस हीट में आ गई है तो इसकी सूचना भी इस नंबर पर दी जा सकती है. अगर पास के पशु केन्द्र पर सुविधा नहीं होगी तो एआई टीम आकर गाय-भैंस का कृत्रिम गर्भाधान कराती है.  

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