हाथ से पशुओं का दूध निकालना वैसे तो बड़ा ही मामूली काम लगता है. हालांकि दूध निकालने के लिए अब कई आधुनिक उपकरण भी आ गए हैं. लेकिन एनिमल एक्सपर्ट की मानें मशीनों के मुकाबले हाथ से दूध निकालने में बहुत ज्यादा सावधानियां बरतने की जरूरत है. दूध निकालते वक्त बरती गई छोटी सी भी लापरवाही पशु के साथ ही दूध पीने वाले को भी बीमार कर सकती है. आपको सुनकर अजीब लगे लेकिन दूध निकालने वाले के हाथो से पशुओ में थनैला रोग जैसी संक्रमित बीमारी हो सकती है. वहीं हाथ साफ न होने, नाखून बड़े होने से दूध भी संक्रमित हो सकता है.
दूध निकालते समय दूध में संक्रमण पशु के शरीर से भी होता है. इसलिए हर रोज पशु के खुरों की अच्छी तरह से सफाई करनी चाहिए, जिससे धूल, मिट्टी, टूटे हुए बाल और गोबर आदि दूध में गिरकर दूध को खराब और संक्रमित न करें. और इस बात का हमेशा ख्याल रखना चाहिए कि दूध निकालने से पहले और बाद में कीटाणु रोधी दवाई के घोल में पशु के थनों को डुबोएं, सूखे हाथों से ही दूध निकालें, अंगूठा बाहर करके बंद मुट्ठी से दूध निकालें.
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दूध निकालते वक्त पशुओं को धूल भरा चारा न दें.
खुले मुंह के बर्तन का इस्तेमाल दूध निकालने में ना करें.
दूध निकालते वक्त पशु को छेड़ें और डरायें नहीं.
थन को गीला कर और गीले हाथों से दूध ना निकालें.
अंगूठा अन्दर दबाकर दूध ना निकालें.
बीमार और हेल्दी पशु का दूध इकट्ठा न निकालें.
दूध निकालते वक्त थनों को नीचे की ओर न खींचें.
दूध निकालते वक्त पशु को दुर्गन्धयुक्त चारा न दें.
लम्बे वक्त तक निकाले गए दूध को खुला न रखें.
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पशु की ल्योटी के पास बढ़े हुए बालों को काट देना चाहिए.
पशु की ल्योटि और थनों को साफ कपड़े से पोछना चाहिए.
दूध निकालने का सुबह-शाम का वक्त तय रखें.
छह-सात मिनट में पशु का सारा दूध निकाल लें.
दूध के बर्तन को साफ और गर्म पानी से धोयें.
दूध निकालने वाले बर्तन का मुंह चौड़ा नहीं होना चाहिए.
अंगूठा बाहर की ओर रखकर ही दूध निकालें.
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