मध्य प्रदेश में बजट सत्र के बीच कृषि और किसानों को बढ़ाने के साथ साथ खेती के अलावा पशुपालकों और मछुआरों के हितों को भी ध्यान में रखा गया है. सरकार ने बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के चलते मछुआरों के हुए नुकसान पर मिलने वाली सहायता राशि को बढ़ाने का निर्णय लिया है. इसके अलावा शिवराज कैबिनेट ने मछुआरों की कई बुनियादी सुविधाओं का खयाल रखा है. सरकार की ओर से लिए गए इस निर्णय का उद्देश्य मछली पालन को बढ़ाने और मछुआरों की आर्थिक सुरक्षा देना है. आइए जानते हैं कैबिनेट में मछुआरों के हित में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय के बारे में.
नदी, तालाब, समुद्र जैसे जलाशय मछुआरों का घर कहा जाता हैं. वे अपना ज्यादातर समय पानी के अंदर ही बिताते हैं. कई बार अधिक बाढ़ और तूफान के कारण जलाशयों में पानी का स्तर जरूरत से ज्यादा बढ़ जाता है, जिससे उफनती नदियों की धार से मछलियां बह जाती है. यह मछुआरों के लिए बहुत बड़ी क्षति है. सरकार की ओर से बाढ़ और तूफान से प्रभावित मछुआरों को वित्तीय सहायता दी जाती थी. मछली बीज नष्ट होने पर पहले 8200 रुपये प्रति हेक्टेयर की सहायता राशि दी जाती थी जो कि बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दी गई है.
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मछुआरों का सबसे बड़ा दोस्त नाव को कहा जाता है. कई बार तूफान या अन्य प्राकृतिक आपदाओं के चलते नाव नष्ट हो जाती है.ऐसी स्थिति में मछुआरों को वित्तीय सहायता दी जाती थी. पहले नाव की काम करने की क्षमता कम हो जाने पर 4100 रुपये की आर्थिक मदद की जाती थी, जो कि बढ़ाकर 6000 रुपये कर दी गई है. इसके अलावा पूरी तरह से नाव नष्ट होने पर पहले 12000 रुपये की वित्तीय सहायता दी जाती थी, जो कि बढ़ाकर 15000 रुपये कर दी गई है.
नाव बनाने में मछुआरों को बहुत खर्च करना पड़ता है और प्राकृतिक आपदाओं के चलते वे नष्ट हो जाती है. जिससे मछुआरों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. शिवराज सरकार ने कैबिनेट में मछुआरों की तमाम जरूरतों पर दी जाने वाली आर्थिक सहायता में वृद्धि कर राज्य में नीली क्रांति को बढ़ावा देने का प्रयास किया है.इससे राज्य में मछली उत्पादक और उत्पादन में बढ़ोतरी होने की संभावना जताई जा रही है.
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