Poultry: अंडे-चिकन के लिए मुर्गी पालन कर रहे हैं तो पिलाएं ये पानी, नहीं पड़ेंगी बीमार  

Poultry: अंडे-चिकन के लिए मुर्गी पालन कर रहे हैं तो पिलाएं ये पानी, नहीं पड़ेंगी बीमार  

पोल्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि पानी में आंखों से ना दिखाई देने वाले जीवाणु-कीटाणु आने का जो माध्यम है उसमे तालाब, नदियां, खुले कुएं, पब्लिक वॉटर सप्लाई सिस्टम, स्टोर कर ट्रांसपोर्ट करने के दौरान और ओवरहेड टैंक आदि होते हैं. इसलिए मानकों पर खरे उतरने वाले पानी का ही इस्तेमाल करना चाहिए.  

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Poultry: अंडे-चिकन के लिए मुर्गी पालन कर रहे हैं तो पिलाएं ये पानी, नहीं पड़ेंगी बीमार  American companies renting out chickens

अंडे देने वाली लेअर मुर्गी हो या फिर चिकन के लिए पाले जाने वाले ब्रायलर मुर्गे, जितना इनके लिए फीड जरूरी है उतना ही पीने का पानी भी. मतलब क्वालिटी का फीड होगा तो अंडे-चिकन का उत्पादन और क्वालिटी दोनों ही बढ़ेंगे. वहीं अगर पीने के पानी में अगर जरा सी भी कोई कमी हुई तो फिर मुर्गी का अंडे देना बंद हो जाएगा और मुर्गे की ग्रोथ भी नहीं बढ़ पाएगी. इसीलिए पोल्ट्री एक्सपर्ट मुर्गे-मुर्गियों के लिए साफ-स्वच्छ पानी बहुत जरूरी बताते हैं. पोल्ट्री फार्म खोलने के नियम में भी पानी के बारे में साफ हिदायत दी गई है. 

नियमों के मुताबिक जिस जमीन पर फार्म खोलना है वहां के ग्राउंड वॉटर की जांच करा लें. अगर पीने के पानी की क्वालिटी सही नहीं है तो फिर फार्म पर मुर्गियां आए दिन बीमार होंगी. बावजूद इसके अक्सर देखा जाता है कि पोल्ट्री फार्मर मुर्गियों को पानी पिलाने में कोताही बरतते हैं. हालांकि पीने के पानी की क्वालिटी का पता लगाने का सबसे अच्छा तरीका ये है कि उसकी माइक्रोबियल और कैमिकल जांच करा ली जाए. 

ये हैं पानी की जांच के मानक

  1. कुल कठोरता 60-180
  2. पीएच 6.8-7.5
  3. नाइट्रेट 10 मिलीग्राम-लीटर
  4. नाइट्राइट 0.4 मिलीग्राम-लीटर
  5. कुल जीवाणु गणना 00
  6. कोलीफॉर्म गणना 00
  7. कैल्शियम क्लोराइड 60 मिलीग्राम-लीटर
  8. सोडियम 50 मिलीग्राम-लीटर
  9. सल्फेट 125 मिलीग्राम-लीटर 

पानी पिलाने में बरतें ये सतर्कता 

  • सस्ते और सरल तरीकों से अतिरिक्त घुले खनिजों को हटाना व्यावहारिक नहीं है. 
  • पानी में खनिजों की मात्रा ज्यादा होने पर दूसरे वॉटर सोर्स इस्तेमाल करने चाहिए. 
  • माइक्रोबियल से छुटकारा पाने के लिए क्लोरीनीकरण सबसे अच्छा और सस्ता तरीका है.
  • पीने के पानी में पीपीएम की मात्रा एक से दो होनी चाहिए. 
  • पीपीएम का लेवल बनाने के लिए 1000 लीटर पानी में पांच-आठ ग्राम ब्लीचिंग पाउडर मिलाएं. 
  • पानी में मिलाए जा रहे ब्लीचिंग पाउडर में क्लोरीन की मात्रा 35 फीसद होनी चाहिए. 
  • पानी को एक घंटे रोकने के बाद ही मुर्गियों को पिलाएं. 
  • जहां एक घंटे तक पानी स्टोर नहीं किया जा सकता है वहां पानी में क्लोरीन डाइऑक्साइड पांच फीसद, एक मिलीलीटर सोडियम हाइपोक्लोराइट (सैनीटेक) 10 लीटर पानी में इस्तेमाल करना चाहिए. 
  • 1.6 फीसद आयोडीन युक्त आयोडोफोर का इस्तेमाल वॉटर सैनिटाइजर के रूप में करना चाहिए. 
  • क्वाटरनरी अमोनियम यौगिक युक्त प्रोडक्ट जैसे क्वाट, क्वाटोवेट, एन्सिवेट, सोक्रेना आदि का इस्तेमाल एकसपर्ट की सलाह पर वॉटर सैनिटाइजर के रूप में किया जा सकता है.

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