Animal Milking: गाय-भैंस का दूध निकाल रहे हैं तो जरूर करें ये 10 काम, बीमार नहीं होंगे पशु 

Animal Milking: गाय-भैंस का दूध निकाल रहे हैं तो जरूर करें ये 10 काम, बीमार नहीं होंगे पशु 

Animal Milking दूध निकालने के दौरान बरती गई लापरवाही और गलत तरीके से दूध निकालने से पशुओं को कई तरह की बीमारियां होती हैं. पशुओं को होने वाली थनैला बीमारी भी उन्हीं में से एक है. पशु का दूध निकालने के दौरान साफ-सफाई न बरतना भी कई बार पशुपालन पर भारी पड़ जाता है. लेकिन एक्सपर्ट के बताए कुछ टिप्स हैं जिन्हें अपनाकर गाय-भैंस को ऐसी बीमारियों से दूर रखा जा सकता है. 

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Animal Milking: गाय-भैंस का दूध निकाल रहे हैं तो जरूर करें ये 10 काम, बीमार नहीं होंगे पशु भैंस की टॉप 4 नस्लें

गाय-भैंस का दूध निकालने का एक तरीका होता है. पशु थन के साथ किस तरह से मुठ्ठी बांधनी है. मुठ्ठी बांधते वक्त उंगलियों और अंगूठे की पोजिशन कैसी होनी चाहिए इसका भी खास ख्याल रखा जाता है. अगर गलत तरीके से थनों को पकड़कर दूध निकाला तो इसका सीधा असर गाय-भैंस के स्वस्थ्य पर पड़ता है. इसी के चलते थनैला बीमारी भी होती है. यहां तक की दूध के भी दूषि‍त होने की आशंका बनी रहती है. 

केन्द्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान (सीआईआरबी), हिसार के रिटायर्ड प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. सज्जन सिंह का कहना है कि दूध निकालते वक्त साफ-सफाई पर ध्यान नहीं दिया तो पशुओं को कई तरह की बीमारी हो सकती है. बीमारियों को डेयरी में होने वाला सबसे बड़ा नुकसान माना जाता है. मामूली सी लापरवाही पशुपालन की लागत बढ़ा देती है. पशु के बीमार होने पर उत्पादन भी घट जाता है. 

जानें दूध निकालने के बारे में क्या कहते हैं एक्सपर्ट 

  • कई बार मैनेजमेंट के दौरान पशुओं की देखभाल में लापरवाही जाती है.
  • लापरवाही के चलते दूध देने वाला पशु थनैला बीमारी का शि‍कार हो जाता है.
  • जैसे दूध निकालने से पहले थनों की सफाई ना करना. 
  • दूध निकालने वाले के कपड़े और हाथों के गंदा होने पर. 
  • दूध निकालने वाला अगर बीमार है. 
  • जिस बर्तन में दूध निकाला जा रहा उसका साफ ना होना. 
  • गंदी जगह पर बैठकर पशु का दूध निकालना. 
  • गाय-भैंस के बच्चे को दूध पिलाने के बाद थनों को ना धोना. 
  • पशु के पेट, थन और पूंछ पर गंदगी चिपकने से.
  • दूध दुहते समय पानी, बर्तन और फर्श की गुणवत्ता को लेकर अलर्ट रहें. 
  • डेयरी में काम करने वाली लेबर के गंदा रहने और उनके गंदे कपड़े बीमारी को बढ़ा देते हैं. 
  • खराब खान-पान और तनाव पशुओं में थनैला से लड़ने की क्षमता को कमजोर करते हैं.
  • दूध में मौजूद अल्फा1 ग्लाइको प्रोटीन की जांच से थनैला के बारे में वक्त रहते पता लग जाएगा. 
  • इसके लिए दूध के नमूने को स्फेक्ट्रो फोटो मीटर की मदद से जांचा जाता है. 
  • अगर पशु थनैला बीमारी से पीडि़त है तो दूध में मौजूद अल्फा1 ग्लाइको प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाएगी. 

निष्कर्ष- 

डेयरी का अर्थशास्त्र पशु के दूध उत्पादन और बाजार में उस पर होने वाले मुनाफे पर टिका होता है. लेकिन जैसे ही पशु दूध देना कम कर देता है या किसी बीमारी के चलते दूध दूषि‍त हो जाता है तो डेयरी का अर्थशास्त्र सबसे पहले बिगड़ता है. पशुपालक का मुनाफा घटने के साथ लागत बढ़ जाती है. 

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