गाय-भैंस का दूध निकालने का एक तरीका होता है. पशु थन के साथ किस तरह से मुठ्ठी बांधनी है. मुठ्ठी बांधते वक्त उंगलियों और अंगूठे की पोजिशन कैसी होनी चाहिए इसका भी खास ख्याल रखा जाता है. अगर गलत तरीके से थनों को पकड़कर दूध निकाला तो इसका सीधा असर गाय-भैंस के स्वस्थ्य पर पड़ता है. इसी के चलते थनैला बीमारी भी होती है. यहां तक की दूध के भी दूषित होने की आशंका बनी रहती है.
केन्द्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान (सीआईआरबी), हिसार के रिटायर्ड प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. सज्जन सिंह का कहना है कि दूध निकालते वक्त साफ-सफाई पर ध्यान नहीं दिया तो पशुओं को कई तरह की बीमारी हो सकती है. बीमारियों को डेयरी में होने वाला सबसे बड़ा नुकसान माना जाता है. मामूली सी लापरवाही पशुपालन की लागत बढ़ा देती है. पशु के बीमार होने पर उत्पादन भी घट जाता है.
डेयरी का अर्थशास्त्र पशु के दूध उत्पादन और बाजार में उस पर होने वाले मुनाफे पर टिका होता है. लेकिन जैसे ही पशु दूध देना कम कर देता है या किसी बीमारी के चलते दूध दूषित हो जाता है तो डेयरी का अर्थशास्त्र सबसे पहले बिगड़ता है. पशुपालक का मुनाफा घटने के साथ लागत बढ़ जाती है.
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