Drinking Water for Animal दुधारू पशुओं के लिए जितना जरूरी चारा होता है उतना ही पानी भी जरूरी है. आमतौर पर ये देखा जाता है कि पशुपालक गर्मियों में तो पशु के पीने के पानी का बहुत ख्याल रखते हैं, लेकिन सर्दियों में नहीं. उनका ये सोचना होता है कि एक तो सर्दियों में पशुओं को कम पानी की जरूरत होती है और दूसरा ये कि बार-बार ठंडा पानी पिलाने से पशु की तबियत भी खराब हो सकती है. ये सही है कि ठंडा पानी नुकसान कर सकता है, लेकिन ऐसा कतई नहीं है कि पानी की मात्रा को कम कर दिया जाए. सर्दियों में पानी पिलाने का अपना एक अलग तरीका है.
क्योंकि पानी की कमी से होने वाली डिहाइड्रेशन बीमारी सर्दियों में भी होती है. इसलिए ये जरूरी है कि पशु को पानी खूब पिलाएं और पानी की कमी से दिखने वाले लक्षणों को पहचानते हुए उसका उपाय करें. कई ऐसे तरीके हैं जिसकी मदद से ये पता लगाया जा सकता है कि पशु में पानी की कमी हो रही है. साथ ही पानी की कमी से होने वाली परेशानियों के लक्षण भी साफ दिखाई देने लगते हैं.
जब पशुओं में पानी की कमी हो जाती है तो कई तरह के लक्षण से इसे पहचाना जा सकता है. जैसे पशुओं को भूख नहीं लगती है. सुस्ती और कमजोर हो जाना. पेशाव गाढ़ा होना, वजन कम होना, आंखें सूख जाती हैं, चमड़ी सूखी और खुरदरी हो जाती है और पशुओं का दूध उत्पादन भी कम हो जाता है. और सबसे बड़ी पहचान ये है कि जब हम पशु की चमढ़ी को उंगलियों से पकड़कर ऊपर उठाते हैं तो वो थोड़ी देर से अपनी जगह पर वापस आती है.
पानी की कमी होने पर पशुओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जैसे चारा खाने और उसे पचाने की क्षमता कम हो जाती है. शरीर के जरूरी पोषक तत्वा मल-मूत्र के जरिए बाहर निकलने लगते हैं. पशुओं की दूध उत्पादन और प्रजनन क्षमता पर असर पड़ने लगता है. खून गाढ़ा होने लगता है. बछड़े और बछड़ियों को पेचिस लग जाती है. बड़े पशुओं को दस्त लग जाते हैं. इसलिए जरूरी है कि पशुओं को बोरवेल का निकला ताजा पानी या फिर ठंडे पानी को हल्का सा गुनगुना करने के बाद ही पशुओं को पिलाएं. पशुओं को बाड़े के बाहर खुले में तालाबा या पोखर का पानी न पीने दें.
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