पुष्कर पशु मेले में ऊंट का प्रतीकात्मक फोटो.Camel Crisis Issue ऊंटों की कम होती संख्या एक बड़ी परेशानी बन गई है ये चर्चा पुष्कर मेले में भी हो रही है. चर्चा ये भी है कि ऊंटों की संख्या सिर्फ राजस्थान ही नहीं देश के दूसरे हिस्सों जहां ऊंट पाले जाते हैं जैसे हरियाणा और मध्य प्रदेश में भी कम हो रही है. ऊंटों की कम होती संख्या का असर पुष्कर मेले पर भी दिखाई दे रहा है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक साल 1983 में राजस्थान में ही ऊंटों की संख्या 7.56 लाख थी. लेकिन 2019 में हुई पशुगणना के आंकड़ों पर जाएं तो राजस्थान में अब सिर्फ 2.13 लाख ही ऊंट रह गए हैं.
देशभर में अगर ऊंटों की घटती संख्या पर बात करें तो 37 फीसद की कमी दर्ज की गई है. पशुगणना 2025 के आंकड़े भी जल्द सामने आने वाले हैं. राजस्थान में ऊंटों की संख्या कैसे बढ़ाई जा सकती है और इसके लिए कैसे राजस्थान सरकार मदद कर रही है ये जानकारी भी पुष्कर मेले में ऊंट पालकों को दी जा रही है.
राजस्थान सरकार का कहना है कि मरू प्रदेश के गौरव राज्य पशु ऊंटों की संख्या बढ़ाने के लिए राज्य में ऊष्ट्र संरक्षण एवं विकास मिशन के तहत ऊंटों के प्रजनन को प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसके लिए पशुपालन निदेशालय में अलग से एक मिशन का गठन किया गया है. इस मिशन के तहत ही और दूसरे काम भी किए जा रहे हैं. उनमे शामिल कार्यों में-
पुष्कर मेले में राजस्थान के पशुपालन विभाग का स्टॉल भी लगा है. विभाग से जुड़े जानकारों का कहना है कि कुछ वक्त पहले तक खासतौर पर पश्चिमी राजस्थान के इलाकों में ऊंटों का बहुत महत्व था. वहां कृषि और ट्रांसपोर्ट के लिए ऊंट का बहुत इस्तेमाल होता था. खेती से जुड़ा हर छोटा-बड़ा काम ऊंट की मदद से किया जाता था. इसी तरह से माल ढुलाई हो या फिर सवारी के रूप में लोगों को एक जगह से दूसरी जगह जाना हो, उसके लिए भी ऊंट गाड़ी या फिर सीधे ही ऊंट पर बैठकर सफर किया जाता था. लेकिन अब दोनों ही क्षेत्रों में हुई हाईटेक तरक्की के चलते ऊंटों का इस्तेमाल कम हो गया है.
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