खासतौर पर राजस्थान के पशुपालक कर्रा बीमारी की वजह से बहुत परेशान रहते हैं. इसके चलते कई बार उनके पशुओं की मौत तक हो जाती है. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो गर्मियों के मौसम में ये बीमारी पशुओं में ज्यादा पाई जाती है. यही वजह है कि राजस्थान के पशुपालन मंत्री जोराराम कुमावत ने जैसलमेर जिले में कर्रा रोग के संबंध में पशुपालन अफसरों को सतर्क करना शुरू कर दिया है. इस मामले में 22 मार्च को उन्होंने एक बैठक भी की. कुछ पशुओं की मौत के बाद ये जरूरी बैठक बुलाई गई थी.
उन्होंने अफसरों को आदेश देते हुए कहा है कि कर्रा बीमारी को फैलने से रोकने के लिए सभी उपाय अपनाए जाएं. पशुपालकों को जागरुक किया जाए. गौरतलब रहे पिछले दिनों कर्रा बीमारी से जैसलमेर में 36 पशुओं और फलौदी इलाके में दो पशुओं की मौत हो चुकी है. मंत्री कुमावत ने जैसलमेर, बाड़मेर, बालोतरा और फलौदी जिलों के जिला कलेक्टर्स से भी बात की और जिले में स्टाफ, दवाइयां और अन्य व्यवस्थाओं की समीक्षा करते हुए इन्हें चाक चौबंद करने के निर्देश दिए जिससे स्थिति को बिगड़ने से पहले ही काबू में किया जा सके.
पशुपालन मंत्री कुमावत ने बैठक के दौरान अफसरों को आदेश दिए हैं कि सभी जिलों में पशुओं के लिए मिनरल मिक्चर और दवाईयों की उपलब्धता बनाए रखें. उन्होंने साफ निर्देश दिए हैं कि दवाइयों की कमी की वजह से कोई समस्या नहीं आए. पशु बिना दवाई के परेशान न हों. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो कर्रा बीमारी मुख्य रूप से कैल्सियम और फास्फोरस की कमी के चलते होता है. इसीलिए कहा जाता है कि पशु के रोजमर्रा के चारे में कैल्सियम और फास्फोरस की कमी न होने दें. पशु की जरूरत के हिसाब से उसकी खुराक में शामिल किया जाए.
एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि जब पशु को खुराक में जरूरत के हिसाब से कैल्सियम और फास्फोरस नहीं मिलता है तो उसके शरीर में इसकी कमी होने लगती है. इस कमी को पूरा करने के लिए पशु खुद से ही कोशिश करता है. इसी कोशिश के चलते वो मरे हुए पशु की हड्डी को चाटने और खाने लगता है. ऐसा करने से मरे हुए पशुओं की हड्डियों से बोचुलिजम रोग के कीटाणु हेल्दी पशुओं में आ जाते हैं. इसीलिए पशुपालकों को ये सलाह दी जाती है कि वो अपने पशुओं को कैल्सियम और फॉस्फोरस वाला आहार खिलाएं. पशुपालन मंत्री ने अफसरों को ये निर्देश भी दिए हैं कि वो गांवों में मरे हुए पशुओं के शवों का ठीक तरह से निस्तारण कराएं जिससे हेल्दी पशु उन न पहुंच सकें.
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