Animal Care in Flood: आपके शहर-गांव में बाढ़ का खतरा है तो बदल दें पशुओं की देखभाल का तरीका, करें ये काम 

Animal Care in Flood: आपके शहर-गांव में बाढ़ का खतरा है तो बदल दें पशुओं की देखभाल का तरीका, करें ये काम 

Animal Care in Flood and Rainy Season बरसात के बाद बनने वाले बाढ़ के हालात भी पशुओं के बीच बीमारी फैलने की बड़ी वजह होते हैं. पशुओं द्वारा खाए जाने वाला हरा चारा, पीने का पानी भी पशुओं में बीमारी की वजह बनता है. इसके चलते पशुओं का उत्पादन भी कम हो जाता है. कई बार तो इसके चलते पशुओं की मौत भी हो जाती है. 

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Animal Care in Flood: आपके शहर-गांव में बाढ़ का खतरा है तो बदल दें पशुओं की देखभाल का तरीका, करें ये काम प्रतीकात्मक फोटो.

Animal Care in Flood and Rainy Season बाढ़ और बरसात के दौरान पशुओं और पशुपालक दोनों को ही कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. पशुपालकों के लिए परेशानी ये होती है कि बाढ़ के पानी से पशुओं को कैसे बचाया जाए. बरसात और बाढ़ के बाद होने वाले संक्रमण को पशुओं के बीच फैलने से कैसे रोकें. क्योंकि बाढ़ का पानी तो परेशान करता ही है, लेकिन बीमारियां उससे भी ज्यादा परेशान करती हैं. केन्द्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान (सीआईआरबी), हिसार के रिटायर्ड प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. सज्जन सिंह ने किसान तक को बताया कि बाढ़ का पानी कम और उसके बाद संक्रमण के चलते बीमारियों से पशुओं की बहुत मौत होती हैं. 

बाढ़-बरसात में पशुओं की देखभाल के लिए कैसे करें तैयारी 

  • गाय-भैंस के चार महीने के बच्चे से टीका लगना शुरू हो जाता है. 
  • गलघोंटू, मिल्क फीवर, थनेला बीमारी टीका लगवाकर रोकी जा सकती है.
  • मॉनसून शुरू होने से पहले डॉक्टर की सलाह पर जरूरी टीके लगवा लें.
  • पहले टीके नहीं लगवाए हों तो बरसात के बीच में भी लगवा सकते हैं. 
  • गांव के पशु अस्पताल में जाकर भी ये सभी टीके लगवाए जा सकते हैं. 
  • पशुओं को पेट के कीड़ों से बचाने के लिए बरसात में भी दवा जरूर खिलाएं. 

बाढ़-बरसात के दौरान कैसे करें पशुओं की देखभाल  

  • बरसात के दिनों में संक्रमण रोग ज्यादा होते हैं. 
  • इसलिए बाड़े में सभी पशुओं को एक साथ कभी न बांधे. 
  • हैल्थी पशुओं को अलग रखें और बीमार को अलग बांधे. 
  • पशुओं के छोटे बच्चों को बड़े पशुओं से अलग रखना चाहिए. 
  • जो पशु गाभिन हैं या फिर बच्चा दे चुके हैं उन्हें भी अलग रखना चाहिए. 
  • गाभिन या बच्चा दे चुके पशुओं को खाने के लिए अच्छी खुराक दें. 
  • पशुओं को मक्खी और मच्छर से बचाने के लिए फोगिंग कराएं. 
  • कोई पशु मर जाता है तो उसे यहां-वहां खुले में न फेंककर मिट्टी में दबाएं. 
  • मरे हुए पशु को दफनाने के बाद उसके ऊपर नमक जरूर डालें. 
  • बरसात के दौरान पशुओं को चमड़ी के रोग न होने दें. 
  • पशु को हाथ लगाने से पहले और उसके बाद अपने हाथ को सेनेटाइज जरूर करें. 
  • शेड में नए आए पशु को 15 दिन के लिए दूसरे पशुओं से अलग रखें. 

निष्कर्ष- 

बरसात के दौरान देश के कई हिस्सों में बाढ़ भी अपना असर दिखाती है. इस हालात में खासतौर पर पशुपालकों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है. एक तो सबसे बड़ी कवायत ये होती है कि बाढ़ के पानी से पशुओं को कैसे बचाया जाए. दूसरा ये कि बाढ़ के बाद फैलने वाली बीमारियों से पशुओं को बचाना. 

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