Animal Disease in Flood: बाढ़ के बाद पशुओं में होने वाली बीमारियों की रोकथाम के लिए जरूर करें ये काम 

Animal Disease in Flood: बाढ़ के बाद पशुओं में होने वाली बीमारियों की रोकथाम के लिए जरूर करें ये काम 

Animal Disease in Flood अक्सर बरसात और बाढ़ के बाद पशुओं के बीच बीमारी फैलने लगती है. पशुओं का हरा चारा, पीने का पानी भी पशुओं के लिए बीमारियों की वजह बन जाता है. इस सब के चलते पशु तनाव में आता है, वहीं पशुपालक को भी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. पशुओं का उत्पादन भी कम हो जाता. संक्रमण के चलते कई बार पशु की मौत तक हो जाती है.

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Animal Disease in Flood: बाढ़ के बाद पशुओं में होने वाली बीमारियों की रोकथाम के लिए जरूर करें ये काम 

Animal Disease in Flood देश के कई हिस्सों में बाढ़ का विकराल रूप देखने को मिल रहा है. मौजूदा वक्त में सबसे ज्यादा हालात पंजाब के खराब हैं. बड़ी संख्या में पूरे के पूरे गांव में बाढ़ का पानी भर चुका है. राजस्थान और बिहार में भी बाढ़ का पानी भरने लगा है. नदियां उफन पर हैं. ऐसे में आमजन को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है. लेकिन उससे भी कहीं ज्यादा नुकसान और परेशानी पशुओं को लेकर उठानी पड़ती है. कई बार पशु बाढ़ के पानी में बह जाते हैं. अभी पंजाब में ऐसा ही हो रहा है. दूसरी ओर बाढ़ के बाद संक्रमण फैलने से पशुओं में बीमारी भी फैलती है. लेकिन कुछ उपाय अपनाकर संक्रमण से पशुओं को बचाया जा सकता है. 

बाढ़ग्रस्त इलाकों में संक्रमण से पशुओं को कैसे बचाएं 

  • गाय-भैंस के चार महीने के बच्चे से टीका लगना शुरू हो जाता है. 
  • गलघोंटू, मिल्क फीवर, थनेला बीमारी टीका लगवाकर रोकी जा सकती है.
  • मॉनसून शुरू होने से पहले जरूरी टीके लगवा लें.
  • पहले टीके नहीं लगवाए हों तो बरसात के बीच में भी लगवा सकते हैं. 
  • गांव के पशु अस्पताल में जाकर ये सभी टीके लगवाए जा सकते हैं. 
  • पशु को पेट के कीड़े की दवा भी बरसात में जरूर खिलाएं. 

बरसात-बाढ़ में पशुओं का कैसे रखें ख्याल 

  • बरसात के दिनों में संक्रमण रोग ज्यादा होते हैं. 
  • इसलिए बाड़े में सभी पशुओं को एक साथ कभी न बांधे. 
  • हैल्थी पशुओं को अलग रखें और बीमार को अलग बांधे. 
  • पशुओं के छोटे बच्चों को बड़े पशुओं से अलग रखना चाहिए. 
  • जो पशु गाभिन हैं या फिर बच्चा दे चुके हैं उन्हें भी अलग रखना चाहिए. 
  • गाभिन या बच्चा दे चुके पशुओं को खाने के लिए अच्छी खुराक दें. 
  • पशुओं को मक्खी और मच्छर से बचाने के लिए फोगिंग कराएं. 
  • कोई पशु मर जाता है तो उसे यहां-वहां खुले में न फेंककर मिट्टी में दबाएं. 
  • मरे हुए पशु को दफनाने के बाद उसके ऊपर नमक जरूर डालें. 
  • बरसात के दौरान पशुओं को चमड़ी के रोग न होने दें. 
  • पशु को हाथ लगाने से पहले और उसके बाद अपने हाथ को सेनेटाइज जरूर करें. 
  • शेड में नए आए पशु को 15 दिन के लिए दूसरे पशुओं से अलग रखें. 

निष्कर्ष- 

बाढ़ के चलते पशुओं का हरा चारा और पीने का पानी दूषि‍त हो जाता है. इसलिए ये जरूरी हो जाता है कि बहुत ही जांच परख के बाद ही पशुओं को पीने का पानी और खाने के लिए हरा चारा दें. क्योंकि ये दोनों ही चीजें अक्सर पशुओं में बीमारियों की बड़ी वजह बनती हैं.

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