Azolla: पोल्ट्री फार्म में इस्तेमाल किया ये हरा चारा तो बढ़ जाएगा अंडों का उत्पादन 

Azolla: पोल्ट्री फार्म में इस्तेमाल किया ये हरा चारा तो बढ़ जाएगा अंडों का उत्पादन 

पोल्ट्री फार्म में अजोला का इस्तेमाल फीड की लागत को कम करने के साथ अंडों का उत्पादन भी बढ़ाता है. दूसरा ये कि फार्म में अजोला को आसानी से भरपूर मात्रा में उगाया जा सकता है. और अजोला उत्पादन के दौरान उसमे कोई बीमारी भी नहीं लगती है. 

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Azolla: पोल्ट्री फार्म में इस्तेमाल किया ये हरा चारा तो बढ़ जाएगा अंडों का उत्पादन अजोला घास

दूध-मीट के लिए गाय-भैंस, भेड़-बकरी पालन हो या फिर अंडों के लिए पोल्ट्री फार्म में मुर्गी पालन, सभी का उत्पादन चारे और फीड पर टिका होता है. फीड जितना अच्छा होगा उत्पादन उतना ही ज्यादा और क्वालिटी वाला होगा. सभी पोल्ट्री फार्मर की ये कोशि‍श होती है कि उसकी मुर्गियां हर रोज और ज्यादा से ज्यादा अंडे दें. पोल्ट्री एक्सपर्ट की मानें तो मुर्गियां हर रोज अंडा नहीं देती हैं. एक मुर्गी पूरे साल में 310 से 320 तक अंडे देती है. मुर्गी से ज्यादा अंडे मिलें इसके लिए एक्सपर्ट मुर्गियों के फीड में हरा चारा अजोला शामिल करने की सलाह देते हैं. 

उनका कहना है कि आज पोल्ट्री फीड के दाम लगातार बए़ रहे हैं. अच्छे फीड की कमी महसूस की जा रही है. और ऐसे वक्त में अगर मुर्गियों को अजोला खि‍लाया जाता है तो फीड की लागत भी कम हो जाती है. और अजोला में प्रोटीन की मात्रा भी बहुत है तो इसे खि‍लाना फायदेमंद रहता है. और पोल्ट्री फार्म में जगह भी खूब होती है तो अजोला को आसानी से उगाया जा सकता है. 

पोल्ट्री फार्म में ऐसे किया जा सकता है अजोला उत्पादन 

  • अजोला उत्पादन खुली या बंद जगह पर करें, लेकिन तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए. 
  • 30 डिग्री से ज्यादा तापमान से अजोला को बचाने के लिए छायादार जगह में उत्पादन करें. 
  • अजोला का उत्पादन ऐसी जगह पर करें जहां सूरज की रोशनी सीधे ना पड़ती हो. 
  • अजोल के सभी गड्ढे के कोनों को समतल में रखना चाहिए जिससे बारिश के दौरान परेशानी ना हो.  
  • अजोला का हर रोज का न्यूनतम उत्पादन 300 ग्राम से 350 ग्राम प्रति वर्गमीटर रखें. 
  • गड्ढे में समय-समय पर गाय का गोबर और सुपर फॉस्फेट डालते रहना चाहिए.
  • कीटनाशक और फफूंदनाशक दवाओं का उपचार जरूरत पड़ने पर फौरन करना चाहिए.
  • हर 30 दिनों के बाद अजोला की पुरानी मिट्टी को ताजा करीब 5 किलो मिट्टी से बदलते रहना चाहिए. 
  • मिट्टी बदलते रहने से उसे नाइट्रोजन की अधिकता और लघु खनिजों की कमी होने से बचाया जा सकता है.
  • 10 दिन के बाद एक बार गड्ढे में 25 से 30 फीसद पानी को ताजे पानी से बदल देना चाहिए जिससे नाइट्रोजन की मात्रा ना बढ़े. 
  • हर छह महीने पर एक बार अजोला तैयार करने वाले गड्ढे को पूरी तरह से खाली कर साफ करना चाहिए.
  • छह महीने में एक बार अजोला के गड्ढे को खाली कर उसमे पानी, गोबर और अजोला कल्चर डालना चाहिए.
  • अगर कीट या फफूंद का हमला होता है तो नये सिरे से नयी जगह पर नये अजोला कल्चर के साथ उत्पादन शुरू करना चाहिए.
  • अजोला तैयार करने वाले गड्ढे या टंकी में पानी के पीएच मान का समय-समय पर परीक्षण करना चाहिए.

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