बकरी पर गांठ का कैसे करें इलाज, जानें कैसे फैलती है ये जानलेवा बीमारी

बकरी पर गांठ का कैसे करें इलाज, जानें कैसे फैलती है ये जानलेवा बीमारी

बकरियों में गांठ रोग का बैक्टीरिया बहुत तेजी से फैलता है और यह लंबे समय तक जीवित रहता है. इस रोग से ग्रसित पशु के लार, मल, दूध और मूत्र में मौजूद बैक्टीरिया दूसरे पशुओं में फैल जाते हैं. अगर पशुपालक पहले से कुछ बातों का ध्यान रखें तो पशुओं को काफी हद तक बचाया जा सकता है.

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बकरी पर गांठ का कैसे करें इलाज, जानें कैसे फैलती है ये जानलेवा बीमारीबकरियों में गांठ रोग की समस्या

गांठ रोग (एंथ्रेक्स) ज्यादातर गाय, भैंस, बकरी और घोड़ों में होता है. इस रोग को जहरीला बुखार भी कहते हैं. यह रोग इंसानों के साथ-साथ जानवरों में भी होता है. गांठ रोग का बैक्टीरिया बहुत तेजी से फैलता है और यह लंबे समय तक जीवित रहता है. इस रोग से ग्रसित पशु के लार, मल, दूध और मूत्र स्राव में मौजूद बैक्टीरिया दूसरे पशुओं में फैल जाते हैं. अगर पशुपालक पहले से कुछ बातों का ध्यान रखें तो पशुओं को काफी हद तक बचाया जा सकता है. इसी कड़ी में आज हम बात करेंगे बकरियों में होने वाले गांठ रोग के बारे में. साथ ही जानेंगे इससे बचाव का तरीका.

क्या है गांठ रोग?

बकरियों में केसियस लिम्फैडेनाइटिस यानी गांठ रोग एक पुराना संक्रमण है जो कॉर्निबैक्टीरियम स्यूडोट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है. यह संक्रामक रोग आमतौर पर गर्दन और पेट के बाहरी लिंफ नोड्स में फोड़े के लिए जाना जाता है. गांठ रोग से पीड़ित बकरियों को नींद की कमी, दूध उत्पादन में कमी और वजन घटने की समस्या होती है. इस वजह से पशुपालक को नुकसान हो सकता है. इसके अलावा, जिन पशुपालकों के पास गांठ रोग से मुक्त बकरियां होती हैं, वे आम तौर पर संक्रमित बकरियों या संक्रमित झुंडों से बकरियों को खरीदने से बचते हैं, जिससे प्रजनन स्टॉक का मूल्य कम हो सकता है. गांठ रोग के कारण कई बकरियों के ऊपर इसका दाग लंबे समय तक रह जाता है. इस वजह से उन बकरियों के छाल की कीमत भी कम हो जाती है.

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कैसे फैलती है ये बीमारी

यह बीमारी बकरियों में तब फैलती है जब बैक्टीरिया अन्य बकरियों की आंखों, नाक और मुंह के माध्यम से प्रवेश करते हैं. यह बीमारी बकरियों के मल और मूत्र के माध्यम से अन्य बकरियों में भी फैलती है. सूजे हुए फोड़े आमतौर पर शुरुआती संक्रमण के दो से छह महीने बाद तक पता नहीं चलते हैं. अक्सर, गांठ सिर और गर्दन के क्षेत्र में विकसित होता है क्योंकि सिर चोट के लिए सबसे अधिक संवेदनशील होता है और इससे संक्रमण फैल सकता है. यदि एक बकरी अपने घायल सिर को दूसरी बकरी के घावों पर रखती है तो इससे भी संक्रमण फैलता है.

क्या है इसका इलाज

संक्रमित बकरियां जीवन भर संक्रमित रहती हैं और अधिकांश एंटीबायोटिक दवाओं पर असर नहीं होता है. बकरियों में गांठ रोग को नियंत्रित करने के लिए अभी तक कोई दवा या उपचार उपलब्ध नहीं है. ऐसे में इस बीमारी को फैलने से बचना बेहद जरूरी है. ऐसे में जो बकरियां इस रोग से पीड़ित हैं उन्हें अलग रखना चाहिए ताकि ये बीमारी दूसरे पशुओं में ना फैले. पशु को रोग से बचाव के लिए टीका अवश्य लगवाना चाहिए. टीका लगवाने के बाद पशु को एक साल तक इस रोग का खतरा कम रहता है. अगर आस-पास के गांव में कोई पशु इस रोग से संक्रमित है तो पशुपालक को पशु का आना-जाना बंद कर देना चाहिए. मृत पशु की खाल न उतारें, जिससे रोग और फैलता है. पशु की मृत्यु के बाद उसे पांच से छह फीट गहरे गड्ढे में चूने के साथ दफना देना चाहिए. 

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