दूध मुर्रा भैंस का है तो अच्छा होगा. लोकल बाजार की बात करें या डेयरी सेक्टर की तो मुर्रा भैंस के बारे में ये राय आम हो चुकी है. शायद यही वजह है कि दूसरे देशों में भी दवाई बनाने के काम में मुर्रा भैंस के दूध की डिमांड होने लगी है. हालांकि मुर्रा नस्ल हरियाणा की कही जाती है, लेकिन आज ये देश के सभी राज्यों में पाली जा रही है. कई दूसरे देशों में भी मुर्रा भैंस पाली जाती हैं. डेयरी एक्सपर्ट की मानें तो आज डेयरी में सबसे ज्यादा महंगा दूध मुर्रा भैंस का ही बिक रहा है.
इसका खानपान और देखभाल अच्छी रहे तो ज्यादा दूध देने के साथ ही मुर्रा भैंस का दूध क्वालिटी का होता है. आंध्रा प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु और यूपी में भी मुर्रा भैंस की बहुत डिमांड है. दूसरी खास बात ये है कि मुर्रा नस्ल के ब्रीडर से स्थानीय नस्ल की भैंसों की नस्ल सुधार का काम भी किया जा रहा है.
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मुर्रा भैंस का रंग गहरा काला होता है. चेहरे और पैर के ऊपरी हिस्सों पर शायद ही कभी सफेद निशान हो सकते हैं, लेकिन ये कोई जरूरी नहीं कि सफेद रंग हो.
सींग दूसरी भैंसों से अलग छोटा, कड़ा, पीछे और ऊपर की ओर मुड़ता हुआ और अंदर की ओर मुड़ता हुआ होता है. सींग कुछ हद तक चपटे होते हैं. जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है सींग थोड़े ढीले हो जाते हैं लेकिन सर्पिल मोड़ बढ़ जाते हैं.
मुर्रा भैंस की आंखें काली, सक्रिय और उभरी हुई होती हैं. भैंसे में थोड़ी सिकुड़ी हुई होती हैं.
पूंछ काली या सफेद (अधिकतम 6 इंच) फेटलॉक जोड़ तक पहुंचने वाली लंबी पूंछ होती है.
भैंस में गर्दन लंबी और पतली होती है जबकि मेल भैंसे में मोटी और भारी गर्दन होती है.
कान छोटे, पतले और सतर्क होते हैं.
शरीर की लंबाई (सेमी में)
भैंस- 148, मेल भैंसा- 150.
वजन जन्म के समय (किलो)-
भैंस- 30, मेल भैंसा- 31.7
वयस्क का वजन (किलो)
भैंस- 350-700, मेल भैंसा- 400-800
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एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि मुर्रा भैंस को रबी में बरसीम, जई और सरसों का हरा चारा खिलाया जा सकता है. खरीफ में बाजरा, ज्वार और क्लस्टर बीन खिलाए जा सकते हैं. खली और दूसरे मिक्चर के साथ गेहूं और दाल का भूसा भी दिया जाता है.
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