बिहार में अब मीठी क्रांति आएगी. इसकी जिम्मेदारी 17 जिलों के किसानों को मिलने जा रही है.असल में देश में शहद के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें निरंतर प्रयास में लगे हुए हैं. इसी कड़ी में बिहार के 17 जिलों को राज्य सरकार ने (राष्ट्रीय बी कीपिंग एंड हनी मिशन) के तहत चुना है. इसके लिए महिला समूहों, किसान समूहों और सहकारी समितियों को सब्सिडी देकर प्रोत्साहित किया जाएगा. साथ ही मधुमक्खी पालन में महिलाओं के समूह और जीविका वेजफेड को भी प्राथमिकता दी जाएगी. इसमें 30 प्रतिशत की हिस्सेदारी महिलाओं की होगी. इसका फायदा जीविका दीदियों को भी होगा और इससे महिलाओं के रोजगार का भी सृजन होगा.
शहद उत्पादन को लेकर कृषि विभाग ने संबंधित जिलों के अधिकारियों, किसान समूहों और सहकारी समितियों के चयन को लेकर निर्देश दिए हैं. वहीं बिहार में बड़े पैमाने पर शहद का उत्पादन किया जाता है. राज्य के करीब 50 हजार लोग शहद उत्पादन से जुड़े हुए हैं. यहां के शहद की मांग देश के अलावा विदेशों में भी काफी ज्यादा है. अमेरिका, कतर, सऊदी अरब और मोरक्को आदि देशों में यहां की शहद मिठास घोल रही है.
बिहार सरकार कृषि विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक मीठी क्रांति को राज्य के इन 17 जिलों को चयनित किया गया है. जिसमें, रोहतास, भागलपुर, औरंगाबाद, दरभंगा, भोजपूर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, पटना, जमुई, किशनगंज, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, पूर्णिय़ा, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, सारण, और वैशाली हैं.
योजना को शुरू करने के लिए इन 17 जिलों को राशि की पहली किस्त भी भेजी जा रही है. इसके लिए केंद्र सरकार ने पहली किस्त के लिए 1.30 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं. साथ ही महिलाओं को मधुमक्खी पालन में बढ़ावा देने के अलावा तकनीकी सहायता और मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में फूल वाले पौधों की खेती को बढ़ावा देने पर यह खर्च किया जाएगा.
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बिहार शहद उत्पादन के मामले में प्रमुख राज्यों में से एक है. इस योजना का उद्देश्य राज्य में मीठी क्रांति को लाना है. साथ ही इसके लक्ष्य को प्राप्त करने और वैज्ञानिक तरीकों से मधुमक्खी पालन, मधु उत्पादन और अन्य उत्पादन को बढ़ावा देना है. यह योजना कृषि से जुड़े और गैर कृषि से जुड़े परिवार को रोजगार दिलाने में भी अहम भूमिका निभाएगी.
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