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फसली मुआवजे के लिए सड़कों पर उतरे किसान, बीमा कंपनी के खिलाफ खोला मोर्चा

फसली मुआवजे के लिए सड़कों पर उतरे किसान, बीमा कंपनी के खिलाफ खोला मोर्चा

इटावा के आठ ब्लॉकों में लगभग 12,315 किसानों की खरीफ की फसल का बीमा हुआ था. खरीफ की फसल में प्रमुख तौर पर बाजरा, मक्का की पैदावार होती है. इटावा के चकरनगर तहसील में चंबल और यमुना नदी होने की वजह से वहां बाढ़ के हालात बन गए. इससे हजारों बीघा जमीन जलमग्न हो गई और फसलें नष्ट हो गईं.

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इटावा में फसल के मुआवजे के लिए आंदोलन कर रहे किसान इटावा में फसल के मुआवजे के लिए आंदोलन कर रहे किसान

इटावा जिले के किसान फसली मुआवजे के लिए आंदोलन पर उतर गए हैं. अभी हाल में इटावा से ऐसी खबर आई थी कि किसानों ने बाजरे के लिए फसल बीमा कराया था. लेकिन जब मुआवजा देने की नौबत आई तो बीमा कंपनी ने किसी किसान को 127 रुपये तो किसी को 129 रुपये दिए. हालांकि किसानों ने बीमा कंपनी के नियमों का पूरा पालन करते हुए प्रीमियम का पैसा समय पर जमा कराया था. लेकिन बीमा कंपनी की तरफ से किसानों को बहुत ही कम मुआवजे का पैसा दिया. पैसा इतना कम मिला कि खेती का एक दिन का मजदूरी खर्च भी न निकले. इसके विरोध में कई किसान सड़कों पर उतर गए हैं.

यह पूरा मामला इटावा के चकरनगर तहसील के डिभौली गांव का है. किसानों को बीमा कंपनी की तरफ से बाढ़ आपदा में फसली नुकसान के लिए 129 रुपये का मुआवजे दिया गया. इसे लेकर शुक्रवार को भारतीय किसान यूनियन राजनैतिक के कार्यकर्ताओं ने जिला कलेक्ट्रेट में धरने पर बैठकर प्रदर्शन किया. सभी कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम जिलाधिकारी को एक ज्ञापन सौंपा. इस ज्ञापन में बेमौसम बरसात से बर्बाद हुई फसलों का मुआवजा दिलाए जाने की मांग की गई. 

फसली नुकसान के मुआवजे के अलावा किसानों ने कोल्ड स्टोरेज में आलू रखे जाने की समस्या से भी अवगत कराया. किसानों ने अपने ज्ञापन में आलू के लिए 16 सौ रुपये प्रति क्विंटल का समर्थन मूल्य देने, बरसात-ओलावृष्टि से तबाह हुई फसलों के लिए बैंक से ऋण ब्याज की वसूली पर रोक लगाने, आवारा पशुओं के आतंक से निदान दिलाने, सिंचाई के लिए विद्युत आपूर्ति सुचारू करवाने की मांग की गई.

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किसानों ने ज्ञापन में इस बात पर सरकार का ध्यान खींचा कि किस आधार पर उन्हें 129 रुपये की मुआवजा राशि दी गई जिसकी विस्तृत जांच की जानी चाहिए. बीमा कंपनी के खिलाफ जांच पूरी कर किसानों को उचित मुआवजा दिलाए जाने की मांग की गई. किसानों ने इसके लिए मुख्यमंत्री के नाम डीएम के पास आठ सूत्रीय मांग वाला ज्ञापन सौंपा. इसमें किसानों ने अपनी पूरी समस्या से अवगत कराया है.

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भारतीय किसान यूनियन युवा संगठन के जिलाध्यक्ष संजेश कुमार ने कहा कि बेमौसम बरसात में गेहूं की फसल का नुकसान हुआ है. सरकार से मांग करते हैं कि नुकसान का सर्वे कराकर तुरंत किसानों को मुआवजा दिलवाया जाए. संजेश कुमार ने कहा, किसानों को बीमा मुआवजा के तौर पर 129 रुपये दिया गया है, जो उनके साथ मजाक है. हम लोग मांग करते हैं कि कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा कर दंडात्मक कार्रवाई की जाए. 

किसान नेता ने कहा, बीमा कंपनी प्रीमियम के नाम पर करोड़ों रुपये किसानों से ले लेती है और जब बांटने की बात आती है तो मात्र दो-चार लाख रुपये ही देती है. सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए. किसान नेता ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि मांग पूरी नहीं की जाएगी तो किसान यूनियन सड़कों पर उतरेगा और बीमा कंपनियों के कर्मचारियों को बंदी बनाकर दफ्तर में ही कैद किया जाएगा.

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इटावा के आठ ब्लॉकों में लगभग 12,315 किसानों की खरीफ की फसल का बीमा हुआ था. खरीफ की फसल में प्रमुख तौर पर बाजरा, मक्का की पैदावार होती है. इटावा के चकरनगर तहसील में चंबल और यमुना नदी होने की वजह से वहां बाढ़ के हालात बन गए. इससे हजारों बीघा जमीन जलमग्न हो गई और फसलें नष्ट हो गईं. लेकिन फसल बीमा होने की वजह से सरकार और किसान निश्चिंत रहे. बाद में हालांकि इन किसानों की उम्मीदें टूट गईं जब उन्हें 129 रुपये की राशि मुआवजे के तौर पर मिला. इटावा के किसानों की फसल का बीमा "यूनिवर्सल सोपों जनरल इंश्योरेंस कंपनी" से हुआ था.