पशुपालन में ये माना जाता है कि गर्मियों में पशुओं के लिए हरे चारे की कमी हो जाती है. लेकिन अब तो पशुपालन सेक्टर में ऐसे हालात बन गए हैं कि पशुओं को सर्दी-बरसात में भी भरपूर हरा चारा नहीं मिल पा रहा है. चारा एक्सपर्ट के मुताबिक देश में हरे और सूखे चारे की कमी है. लेकिन कई बार ऐसे मौके आते हैं जब हरा चारा खूब मिल जाता है. लेकिन पशुओं को हर वक्त हरा चारा भी नहीं खिला सकते हैं. ऐसे में काम आती है हे बनाने की तकनीक.
इस तकनीक की मदद से एक्सट्रा हरे चारे का हे बनाकर रखा जा सकता है. और खास बात ये है कि अक्टूबर में होने वाली फसलों से मिलने वाला हरा चारा हे बनाकर पशुओं के लिए स्टोर किया जा सकता है. हालांकि उत्तर भारत में ‘हे’ तैयार करने का वक्त मार्च-अप्रैल में होता है. लेकिन एक्सपर्ट के मुताबिक अक्टूबर में भी कुछ फसलों से ‘हे’ तैयार किया जा सकता है.
ये भी पढ़ें: Glanders: घोड़े, गधे और खच्चरों के आने-जाने पर लगाया बैन, जाने किस राज्य ने लिया फैसला
फीड एक्सपर्ट का कहना है कि जैसे ही छोटे ढेरों वाले पौधों की पत्तियां सूख जाए लेकिन मुड़ने पर एक दम न टूटें ऐसी ढेरियों को पलट देना चाहिए. चारे की ढेरियों को ढीला रखा जाता है, जिससे उसमें हवा पास होती रहे. 15 से 20 फीसद नमी तक ढेरों को सुखाकर बाद में इकट्ठा कर लेते हैं और यदि कटाई के तुरन्त बाद बाड़े, गोदाम, छप्पर में ना हो तो जमा कर लेते हैं. बरसीम, रिजका, लोबिया, सोयाबीन, जई, सुडान आदि से अच्छी हे तैयार होती है. अक्टूबर में मक्का और ज्वार से भी ‘हे’ तैयार की जा सकी है. पतले मुलायम तनों तथा अधिक पत्तियों वाली घासों का हे सख्त घासों की अपेक्षा अच्छा होता है.
एक्सपर्ट का कहना है कि फसलों के काटने की अवस्था का ‘हे’ की क्वालिटी पर काफी प्रभाव पड़ता है. आमतौर पर ‘हे’ बनाने के लिए कटाई पुष्पावस्था के प्रारम्भ में करनी चाहिए. अधिक पकी हुई फसलों से तैयार किया हुआ ‘हे’ अच्छा नहीं होता है. अधिक पकने पर प्रोटीन, कैल्शियम, फास्फोरस व पोटाश की मात्रा तनों में कम हो जाती है. फसल कटाई की प्रक्रिया तेजी से करनी चाहिए. फसल की कटाई सुबह 8-10 बजे के बाद ओस समाप्त हो जाने पर ही करना चाहिए. चारा अधिक सुखाने से प्रोटीन तथा कैरोटीन तत्वों का नुकसान होता है. जबकि कम सुखाने से स्टोरेज के दौरान ताप पैदा होता है. जिससे उसका पोषकमान कम हो जाता है.
ये भी पढ़ें: मदर डेयरी और उत्तराखंड ने लांच किया गिर-बद्री गाय के दूध से बना घी और ट्रेसेबिलिटी सिस्टम
फीड ब्लाक बनाने का तरीका ये है कि फार्म में उपलब्ध सूखा चारा, भूसा, सूखी पत्तियों आदि को संरक्षित एवं स्टोर किया जा सकता है, लेकिन सूखा चारा एवं भूसा बहुत अधिक स्थान घेरते है. इसलिए स्टोरेज की समस्या पैदा होती है. इस समस्या से निबटने के लिये भूसा. सूखे चारे, तथा पत्तियों को ऐसे ही अथवा चोकर, खनिज मिश्रण, शीरा आदि मिश्रित करके मशीन द्वारा उच्च दबाव पैदा करके चारे के ब्लॉक बनाये जाते हैं जो आकार मे छोटे हो जाते हैं. इन्हें छोटे स्थान पर संरक्षित तथा आसानी से स्थानान्तरित भी किया जा सकता है. इस तरह से संरक्षित चारे को पशु बड़े चाव से खाते हैं.
Copyright©2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today