Animal Care in Winter मौसमी बीमारी हों या फिर संक्रमण से होने वालीं और महामारी, सभी से बचाव के लिए जरूरी है कि पहले से कुछ उपाय कर लिए जाएं और पशुओं की खास तरह से देखभाल की जाए. क्योंकि अगर देखभाल में कोई भी कमी रह गई तो पशु बीमार हो जाता है और कई बार पशु की मौत तक हो जाती है. ऐसे में पशुपालक द्वारा की जाने वाली देखभाल तो खास होती ही है, साथ में सरकारी योजनाएं भी मददगार बनती हैं. इन योजनाओं के चलते पशु की मौत का जोखिम भी कम हो जाता है. लेकिन जरूरी ये है कि सभी तरह के मौसम में पशुओं की खास देखभाल की जाए तो बीमारियों की चपेट में नहीं आएंगे और पशुपालन में मुनाफा बढ़ जाता है.
नहीं तो गाय-भैंस हो या भेड़-बकरी पालन, सभी में चारे के बाद सबसे ज्यादा लागत पशुओं के इलाज यानि दवाईयों पर ही आती है. एनिमल एक्सपर्ट के मुताबिक मौसम बरसात का हो या गर्मी-सर्दी का, हर एक मौसम पशुओं के लिए बीमारी भी लाता है. पशुओं के खानपान, रखरखाव और टीकाकरण में जरा सी भी लापरवाही हुई तो फौरन ही बीमार पड़ जाते हैं. केन्द्र और राज्य सरकार भी किसानों को इस तरह के नुकसान से बचाने के लिए कई तरह की योजनाएं चलाती हैं.
एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि कुछ लोग पशुओं का बीमा कराना और उनकी टैगिंग (रजिस्ट्रेशन) कराना पशुपालकों को बेकार, बेवजह का काम लगता है. लेकिन किसी भी मौसमी बीमारी के चलते पशु मरते हैं तो बीमा की रकम ही पशुपालक को राहत देती है. और बिना टैगिंग कराए बीमा की रकम मिलती नहीं है. अगर ऐसी ही कुछ योजनाओं का फायदा किसान उठा लें तो पशुपालन में आने वाले जोखिम को कम किया जा सकता है. गांव और कस्बों के पशु अस्पताल में भी ये सभी सुविधाएं आसानी से मिल जाती हैं.
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