गर्मियों में गर्भवती बकरियों को न खिलाएं ज्यादा रसीला चारा, हो सकता है ये खतरनाक रोग

गर्मियों में गर्भवती बकरियों को न खिलाएं ज्यादा रसीला चारा, हो सकता है ये खतरनाक रोग

Goat Farming Tips: पशुपालकों को गर्मियों के मौसम में बकरियों के खानपान का खासा ध्यान रखना पड़ता है. विशेष रूप से गर्भवती बकरियों का. गर्भावस्था में बकरियों को अधिक रसीला चारा नहीं खिलाना चाहिए. 

Advertisement
गर्मियों में गर्भवती बकरियों को न खिलाएं ज्यादा रसीला चारा, हो सकता है ये खतरनाक रोगबकरी पालन

देश के ग्रामीण इलाकों में बकरी पालन का रोजगार अब दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. वहीं, मौजूदा समय में  ये एक बेहतर कारोबार के रूप में तेजी से विकसित हो रहा है. बकरी पालन के व्यवसाय से जुड़कर कई किसान आर्थिक तौर पर मजबूत भी हुए हैं और साथ ही कई लोग बकरी पालन के अलावा भी कई अलग-अलग जानवरों का पालन कर रहे हैं और उसमें उन्हें बेहतर कमाई भी हो रही है. लेकिन कई बार किसानों को बकरी पालन में कई जानकारियां नहीं होती हैं, जिसकी वजह से पशुपालकों को भारी नुकसान भी उठाना पड़ता है. दरअसल, मई आते ही अब गर्मी तेजी से बढ़ने लगी है. इस गर्मी में गर्भवती बकरियों को क्या खिलाएं और कैसे खिलाएं इस बात का ध्यान रखना होता है. आपको बता दें कि अधिक गर्मी अगर बकरी रसीला चारा खाती है तो वह कई बीमारियों की चपेट में आ सकती है. ऐसे में आइए जानते हैं क्यों नहीं खिलाना चाहिए रसीला चारा.

गर्मियों में न खिलाएं रसीला चारा

बात करें बकरियों के खानपान की तो उस पर पशुपालकों को खास ध्यान रखना चाहिए. गर्भवती बकरियों को 200 ग्राम (अंतिम 60 दिन) और एक लीटर प्रतिदिन दूध देने वाली बकरियों को 250 ग्राम अनाज का मिश्रण देना चाहिए. वहीं, बकरियों के आहार को धीरे-धीरे करके हमेशा बदलते रहना चाहिए. बरसीम, लूसर्न, लोबिया जैसे रसीले चारे अधिक मात्रा में नहीं खिलाना चाहिए, इससे बकरियों को अफरा रोग हो सकता है. दरअसल ,सुबह-सुबह जब घास पर ओस हो और जलजमाव हो उस समय बकरियों को चरने के लिए न भेजें, इससे एंडोपरैसाइट्स का प्रकोप हो सकता है.

ये भी पढ़ें;- Bakrid: देश की इन चार बकरा मंडियों में मिलेंगे 6 खास नस्ल के बकरे, पढ़ें डिटेल 

जानिए क्या होता है अफरा रोग?

अफारा रोग पशुओं में होने वाली एक बहुत ही खतरनाक बीमारी है. इस बीमारी के होने पर यदि पशुओं का समय पर उपचार न किया जाए तो पशुओं की मौत भी हो सकती है. इस रोग में जब पशु अधिक गीला हरा चारा खाते हैं तो उनके पेट में दूषित गैसें- कार्बन-डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन-सल्फाइड, नाइट्रोजन और अमोनिया आदि जमा हो जाती हैं और उनका पेट फूल जाता है, जिसके कारण पशु अधिक बेचैन हो जाते हैं. इस रोग को अफारा रोग कहा जाता है. ये राग खास करके गर्भवती बकरियों के लिए ज्यादा खतरनाक होता है. ऐसे में ध्यान रखें कि गर्मियों में बकरियों को अधिक रसीला चारा ना खिलाएं.

क्या है अफारा रोग का बचाव

  1. इस बीमारी से छुटकारा पाने के लिए पशुओं के खाने के मुख्य लक्षणों को देखकर ही किया जाता है.
  2. अगर बकरियों को अफारा रोग हो जाए तो तेल पिलाना बहुत फायदेमंद होता है.
  3. इसके अलावा आप बकरियों को हींग खिला सकते हैं. हींग खिलाने से दूषित गैस निकल जाती है.
  4. पशु के रूमेन से हवा निकालने के लिए या तो उसकी जीभ को बार-बार मुंह से बाहर निकालना चाहिए या मुंह में लकड़ी की बेड़ियां मुंह पर पट्टी डालनी चाहिए.
  5. ऐसा करने से पशु को सांस लेने में कुछ राहत मिलती है. फेफड़ों पर दबाव दूर करने के लिए पशु को ऐसे स्थान पर बांधना चाहिए जहां उसका अगला धड़ ऊंचाई पर हो.
POST A COMMENT