बकरीद पर बकरों की कुर्बानी दी जाती है. कुर्बानी के साथ तीन दिन तक ये त्यौहार मनाया जाता है. बकरीद में अभी करीब 40 दिन बाकी हैं, लेकिन बकरों की खरीदारी शुरू हो चुकी है. कुछ लोग बकरीद के लिए बकरों की बुकिंग भी करा रहे हैं. ऐसे लोग बकरीद से दो-तीन दिन पहले अपने बुक कराए बकरे ले जाते हैं. लेकिन कुर्बानी के लिए बकरे ऐसे ही आंख बंद कर नहीं खरीदे जाते हैं. कुर्बानी के लिए बकरे खरीदने के कुछ तय मानक हैं. जैसे बकरा बीमार नहीं होना चाहिए. बकरा चोटिल न हो.
और बकरे के सींग न टूटे हों. साथ ही बकरे ने एक साल की उम्र पूरी कर ली हो. बकरों में कुछ अदंरूनी बीमारियां भी होती हैं. लेकिन बकरा खरीदते वक्त आप भी ऐसे बकरों की जांच कर सकते हैं. जैसे अगर बकरे की आंख हल्की गुलाबी या पूरी तरह से सफेद हो गई है तो इसका मतलब बकरे के पेट में पैरासाइड हैं जो उसका खून चूस रहे हैं.
प्रिंसीपल साइंटिस्ट और गोट एक्सपर्ट डॉ. आरएस पवैया का कहना है कि यह जरूरी नहीं कि डॉक्टर के पास ले जाने पर ही बकरे की बीमारियों का पता चले. बकरे में होने वाले बदलावों को देखकर भी उसके बीमार होने का पता लगाया जा सकता है. जैसे भेड़-बकरी के अंदर जब हिमोकस नाम का पैरासाइड पलने लगता है तो बकरे की आंखों में बदलाव होने लगता है. क्योंकि हिमोकस बकरे का खून चूसता है. और जब यह खून चूसने लगता है तो इसकी संख्या भी बढ़ने लगती है. इसलिए गौर करने पर पता चलेगा कि हेल्दी बकरे की आंखें एकदम से चमकीली लाल-गुलाबी होती हैं.
लेकिन जब उसके पेट में हिमोकस पनपने लगता है तो आंख हल्की गुलाबी हो जाती है. जैसे-जैसे हिमोकस की संख्या बढ़ती जाती है और वो खून चूसते हैं तो बकरे की आंख सफेद पड़ने लगती है. जिसका मतलब यह है कि बकरे में खून की कमी हो रही है. ये खतरनाक बीमारी जरूर है, लेकिन इसकी पहचान और इलाज संभव है वो भी बहुत ही आसान तरीके से. खुद गांव में रहने वाला एक पशुपालक भी इसकी पहचान कर सकता है कि उसके भेड़-बकरी में हीमोकस परजीवी है या नहीं.
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