Goat Farming: बकरी पालन में बहुत काम आएंगे 3 प्रोसेस, अपनाते ही बढ़ेगा मुनाफा

Goat Farming: बकरी पालन में बहुत काम आएंगे 3 प्रोसेस, अपनाते ही बढ़ेगा मुनाफा

आज की बढ़ती महंगाई में जब गाय-भैंसों की कीमत और उनके पालन-पोषण का खर्च काफी ज्यादा है, ऐसे में बकरी पालन ग्रामीण बेरोजगारों के लिए रोजगार का एक अच्छा साधन है. अगर आप भी बकरी पालन कर ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो इन तीन तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं. कौन से हैं वो 3 प्रोसेस, आइए जानते हैं.

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बकरी पालन में बहुत काम आएंगे 3 प्रोसेस, अपनाते ही बढ़ेगा मुनाफाबकरी पालन में करें इन प्रोसेस का इस्तेमाल

खेती के साथ-साथ किसान अधिक मुनाफा कमाने और जीविकोपार्जन के लिए कई काम एक साथ करते हैं. इनमें पशुपालन सबसे ज्यादा लोकप्रिय है. खेती के अलावा किसान पशुपालन भी करते हैं ताकि उन्हें अधिक आमदनी हो सके. ऐसे में बकरी पालन एक सफल रोजगार के रूप में जाना जाता है. दरअसल बकरी पालन रोजगार के लिए एक बेहद उपयोगी विकल्प है. कम पूंजी में शुरू किया जा सकने वाला यह व्यवसाय डेयरी फार्मिंग से कम जोखिम भरा और ज्यादा मुनाफे वाला है.

आज की बढ़ती महंगाई में जब गाय-भैंसों की कीमत और उनके पालन-पोषण का खर्च काफी ज्यादा है, ऐसे में बकरी पालन ग्रामीण बेरोजगारों के लिए रोजगार का एक अच्छा साधन है. अगर आप भी बकरी पालन कर ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो तीन तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं. कौन से हैं वो 3 प्रोसेस, आइए जानते हैं.

1-सघन पद्धति

यह विधि उन क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है जहां बकरियों के चरने के लिए पर्याप्त चारागाह उपलब्ध नहीं है. इस विधि में बकरियों की सभी चारा और दाने की ज़रूरतों को उन्हें खेत या बाड़े में रखकर पूरा किया जाता है. इसे शून्य चराई विधि भी कहते हैं. अन्य विधियों की तुलना में इस विधि से बकरियों का पालन करने पर बकरियों से उनकी आनुवंशिक क्षमता के अनुसार उत्पादन प्राप्त करना संभव है.

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2-अर्द्धसघन पद्धति

बकरी पालन की यह विधि उन परिस्थितियों के लिए उपयुक्त है जब चरागाह की सुविधा सीमित क्षेत्रों में ही उपलब्ध हो और चारे की उपलब्धता भी आवश्यकता से कम हो. ऐसी स्थिति में, चरागाह का उपयोग सीमित समय के लिए बकरियों को चराने के लिए किया जाता है ताकि वर्ष भर चरागाह की सुविधा उपलब्ध रहे.

इस प्रकार, सीमित चराई के साथ-साथ, खेत/बाड़ पर पूरक आहार के रूप में जरूरत के अनुसार उन्हें अनाज और सूखा चारा उपलब्ध कराकर बकरियों के आहार की पूर्ति की जाती है. इस प्रणाली में, बकरियों के उत्पादन का स्तर, चरागाह में उपलब्ध चारे और पूरक आहार की मात्रा और गुणवत्ता पर निर्भर करता है.

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3-विस्तृत चरागाह पद्धति

इस प्रणाली में बकरियों को केवल चरागाह द्वारा ही पाला जा सकता है. यदि चरागाह अच्छी गुणवत्ता के हैं तो बकरियों को घर पर अलग से चारे और दाने की आवश्यकता नहीं होती. उनकी ज़रूरतें चरागाह से ही पूरी हो जाती हैं. इस प्रणाली में प्रबंधन आसान है लेकिन यह देखा गया है कि बकरियों का उत्पादन बकरियों की क्षमता के अनुसार नहीं होता.

ऐसे में अगर आप भी बकरी पालन कर अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं तो इन 3 पद्धति का इस्तेमाल कर मुनाफा कमा सकते हैं. 

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