scorecardresearch
Animal Feed: पराली ना जलेगी और ना फिकेगी, ऐसे बनाएं मुनाफे वाला बकरियों का चारा 

Animal Feed: पराली ना जलेगी और ना फिकेगी, ऐसे बनाएं मुनाफे वाला बकरियों का चारा 

केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (CIRG), मथुरा लगातार पशुओं खासतौर से बकरियों के चारे पर रिसर्च करता रहता है. हाल ही में उसने जलने और फिकने वाली पराली से चारा बनाने पर रिसर्च की है. इतना ही नहीं पैदावार ज्यादा होने पर फिकने वाले आलू से भी बकरियों के चारा बनाने में कामयाबी हासिल की है. इससे ना सिर्फ बकरियों बल्कि गाय-भैंस के लिए भी चारा बन सकेगा. 

advertisement
पराली जलाने वाले किसानों पर कार्रवाई. (फाइल फोटो) पराली जलाने वाले किसानों पर कार्रवाई. (फाइल फोटो)

पंजाब-हरियाणा से लेकर दिल्ली तक पराली चर्चा का विषय बनी हुई है. पराली को लेकर राज्यों की सरकारें एक-दूसरे पर आरोप लगा रही हैं. वहीं पराली जलाने के आरोप में किसानों पर कार्रवाई की जा रही है. कुल मिलाकर पराली को लेकर घमासान मचा हुआ है. हर साल पराली को लेकर विवाद होता है. आरोप ये लगाए जाते हैं कि पराली जलाने से दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण होता है. पंजाब, हरियाणा और यूपी के किसानों पर पराली जलाने के आरोप लगाए जाते हैं. लेकिन केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (CIRG), मथुरा की एक खास रिसर्च ने पराली का समाधान निकाल लिया है. 

हाल ही में हुई रिसर्च में CIRG ने आलू-पराली से बकरियों के लिए स्वादिष्ट चारा बनाने का दावा किया है. दावा ये भी किया जा रहा है कि पराली से सिर्फ बकरियों के लिए ही नहीं, बड़े पशु जैसे गाय-भैंस के लिए भी चारा तैयार किया जा सकता है. और अच्छी बात ये है कि इस पर लागत भी ना के बराबर ही आएगी.  

ये भी पढ़ें: Glanders: घोड़े, गधे और खच्चरों के आने-जाने पर लगाया बैन, जाने किस राज्य ने लिया फैसला

CIRG में ऐसे बनाया जा रहा है आलू-पराली से चारा 

प्रिंसिपल साइंटिस्ट रविन्द्र कुमार ने आलू और पराली से पशुओं के लिए चारा बनाने जा रहे हैं तो पराली और आलू दोनों को बराबर मात्रा में लेकर साइलेज बैग में भर दें. बैग को अच्छी तरह से बंद करने के बाद 60 दिनों के लिए उठाकर रख दें. बैग की निगरानी करते रहें. इसके बाद पराली और आलू में एन-एरोबिक कंडीशन के चलते फॉर्मेंटेशन होगा. जिसके बाद यह बकरी ही नहीं गाय-भैंस के लिए भी खाने लायक हो जाएगा. ये पूरी तरह से साइलेज जैसा ही बनेगा. सबसे बड़ी बात यह है कि इसे बकरियों को खिलाने के लिए एक लम्बे वक्त तक चलाया जा सकता है. बकरियों को इस चारे को खि‍लाने का बड़ा फायदा सामने आया. रिसर्च के तहत जब तैयार चारा रोजाना बकरियों को खि‍लाया गया तो पाया गया कि जो बकरियां आलू-पराली से बना चारा खा रही हैं उनका वजन रोजाना 40 ग्राम के हिसाब से बढ़ रहा है. 

500 रुपये में बन जाता है आलू-पराली से चारा 

रविन्द्र कुमार ने साइलेज बनाने की लागत पर बात करते हुए बताया कि आलू-पराली से 50 किलो साइलेज तैयार करने में बहुत ज्यादा 500 रुपये का खर्च आएगा. अभी जिस तरह से पराली को लेकर इश्यू चल रहा है तो ऐसे में पराली खेतों में फ्री भी मिल जाएगी. वहीं अगलर आलू की बात करें तो बाजार ही नहीं कोल्ड स्टोरेज में ऐसा आलू मिल जाता है जो फेंकने लायक होता है. इस तरह का आलू ना के बराबर दाम पर मिल जाता है. 

ये भी पढ़ें: मदर डेयरी और उत्तराखंड ने लांच किया गिर-बद्री गाय के दूध से बना घी और ट्रेसेबिलिटी सिस्टम