उत्तर प्रदेश सरकार ने मछुआ समुदाय के आर्थिक उत्थान और रोजगार सृजन की दिशा में एक बड़ी पहल की है. मत्स्य विभाग द्वारा बहुउद्देशीय 'नई मत्स्य जीवी सहकारी समितियों' के गठन के लिए ऑनलाइन पोर्टल खोल दिया गया है. इसी कड़ी में मत्स्य पालक विकास अभिकरण विभाग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी लखनऊ डॉ महेश चौहान ने बताया कि प्रदेश सरकार ने मछुआ समुदाय के आर्थिक और सामाजिक उत्थान के लिए महत्वपूर्ण पहल की है. मत्स्य विभाग ने बहुउद्देशीय नई मत्स्य जीवी सहकारी समितियों के गठन के लिए ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया है.
उन्होंने बताया कि समिति के गठन के लिए जनसामान्य से ऑनलाइन तथा ऑफलाइन आवेदन विभागीय पोर्टल http://fisheries.up.gov.in पर मांगे जा रहे हैं. इस पोर्टल से मछुआरों को सहकारी समितियों में शामिल होने और रोजगार के नए अवसर प्राप्त करने में मदद मिलेगी.
समिति गठन की विस्तृत जानकारी के लिए विभागीय पोर्टल वेबसाइट पर देखा जा सकता है. डॉ महेश चौहान ने बताया है कि समिति गठन के लिए न्यूनतम 27 सदस्य होना अनिवार्य है. वह समिति के कार्यक्षेत्र में रहता हो और मछली पकड़ने व पालने का कार्य व विपणन का कार्य करता हो. सदस्यों का आधार कार्ड एवं मोबाइल नंबर भरना भी अनिवार्य होगा और एक परिवार से एक ही व्यक्ति सदस्य होगा.
इससे पहले उप्र के कैबिनेट मंत्री मत्स्य डॉ. संजय निषाद ने बताया कि इस पोर्टल के जरिए मछुआरों को सहकारी समितियों में शामिल होने और रोजगार के नए अवसर प्राप्त करने का सुनहरा मौका मिलेगा. इस कदम से समिति गठन की प्रक्रिया को पूरी तरह से ऑनलाइन और पारदर्शी बनाया गया है, जिससे समिति गठन में अनावश्यक विवाद और विलंब से बचा जा सकेगा.
डॉ. निषाद ने आगे बताया कि इस नई व्यवस्था के तहत, मछुआ समुदाय के लोग अब ऑनलाइन आवेदन कर समितियों में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकेंगे. मत्स्य पालन, मत्स्य उत्पादन और मत्स्य विपणन की संभावनाओं के आधार पर समितियों का गठन किया जाएगा. फिलहाल प्रदेश में 1135 समितियां सक्रिय हैं, और इस नई योजना के तहत 565 नई समितियों के गठन का लक्ष्य रखा गया है, जिससे लगभग 16,000 मछुआरों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे. प्रत्येक न्याय पंचायत में एक समिति गठित करने की योजना है, जो मछुआ समुदाय के आर्थिक और सामाजिक विकास को गति देगी.
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