देश में मछली पालन का चलन तेजी से बढ़ रहा है. गांव से लेकर शहरों तक में लोग मछली पालन कर रहे हैं. वहीं, राज्य सरकारें भी किसानों को मछली पालन करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. इसके लिए वह किसानों को बंपर सब्सिडी दे रही है. लेकिन मछली पालन की सही जानकारी नहीं होने के चलते बहुत किसानों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है. ऐसे में एक्सपर्ट का कहना है कि मछली पालन शुरू करने के लिए किसानों को इस जलीय जीव से संबंधित सारी जानकारी जुटा लेनी चाहिए. अगर मछलियों को संतुलित आहार नहीं मिलता है, तो उनका विकास रूक जाता है. कई बार तो बीमार पड़ने से मछलियां मरने भी लगती हैं. इस लिए किसानों को नीचे बताए तरीकों को जरूर अपनाना चाहिए. इससे मछली पालन में बंपर कमाई होगी.
बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक सहित कई राज्यों में किसान बड़े स्तर पर मछली पालन कर रहे हैं. लेकिन इन किसानों को मछली पालन करने से पहले अच्छी प्रजाति की मछलियों के बीज तालाब में डालना चाहिए. ऐसे मछलियों के बीज तीन साइज में बिकते हैं, जिनके नाम जीरा, फिंगर और बिग साइज है. लेकिन सबसे ज्यादा अच्छा जीरा साइज बीज होता है. भले ही जीरा साइज बीच देखने में छोटे लगते हैं, लेकिन कुछ ही महीनों में मछलियों को वजन बढ़कर 2 किलो के करीब हो जाता है. लेकिन इसके लिए मछलियों की सही तरह से देखरेख करनी चाहिए.
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एक्सपर्ट की माने तो मछलियों की कई प्रजातियां हैं, लेकिन किसानों को उन्हीं प्रजाति का पालन करने चाहिए जिसकी मार्केट में बहुत अधिक डिमांड है. ऐसे किसानों के लिए आइएमसी प्रजाति की मछली का पालन करना अच्छा रहेगा. इस प्रजाति की मछलियों को तैयार होने में 9 महीने से सालभर लग जाता है. इसके अलावा किसान पंगास और सेनैपिया जैसी विदेशी प्रजाति की मछलियों का भी पालन कर सकते हैं. इन दोनों प्रजाति की मछलियों का वजन भी तेजी से बढ़ता है और लोग खाना भी पसंद करते हैं. ऐसे में किसानों की बंपर कमाई होगी.
हालांकि, मछली पालन शुरू करने से पहले किसानों को तालाब की सफाई कर लेनी चाहिए. तालाबा की सफाई करने के लिए उसमें आप चूना डाल सकते हैं. फिर मछलियों की तेजी से वृद्धि के लिए कुछ दवाएं भी पानी में मिला सकते हैं. इसके बाद ही तालाब में जीरा डालें. खास बात यह है सारा जीरा एक साथ नहीं डालें. इससे सक्सेस का स्ट्राइक रेट बहुत कम हो जाता है. मछलियों का विकास उतनी तेजी से नहीं होगा. अगर आप चाहें, तो एक महीने के बाद फिर से बीज तालाब में डाल सकते है. वहीं, जाल के जरिए तालाब के पानी की सफाई कर सकते हैं. इससे मछलियां फुर्तीली रहती हैं. ऐसे में उनके शरीर का विकास जल्दी होता है और वो साल भर के अंदर ही 2 किलो के हो जाती हैं.
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