Shrimp Export: स्वाद से ट्रंप के टैरिफ का सामना करेगा भारतीय झींगा, 4 लाख टन तक खाते हैं, ये है वजह Shrimp Export: स्वाद से ट्रंप के टैरिफ का सामना करेगा भारतीय झींगा, 4 लाख टन तक खाते हैं, ये है वजह
Shrimp Export to America भारत झींगा उत्पादन में नौ लाख टन सालाना के आंकड़े के साथ दूसरे स्थान पर है, जबकि इक्वाडोर 15 लाख टन के साथ पहले स्थान पर है. फिर भी अमेरिका में भारत का झींगा ज्यादा बिकते हैं क्योंकि खारी मिट्टी और पानी के चलते भारतीय झींगा और इक्वाडोर के झींगा के स्वाद में फर्क है. भारत में कोस्टल एरिया वाला मिट्टी-पानी भी है तो नॉर्थ इंडिया में प्राकृतिक खारा मिट्टी-पानी भी है.
झींगा तालाब का प्रतीकात्मक फोटो.नासिर हुसैन - New Delhi,
- Aug 14, 2025,
- Updated Aug 14, 2025, 11:31 AM IST
Shrimp Export to America भारतीय झींगा पर अमेरिका के टैरिफ का जोर नहीं चलेगा. कम से कम झींगा के लिए तो अमेरिका को अपने पुराने कायदे-कानून पर ही वापस लौटना पड़ेगा. क्योंकि ट्रंप के टैरिफ पर झींंगा का स्वाद भारी पड़ रहा है. बेशक अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप झींगा खाते हों या नहीं, लेकिन अमेरिका की जनता तो भारतीय झींगा की दीवानी है. इसकी एक बानगी ये है कि इक्वाडोर भारत से एक डॉलर सस्ता झींगा बेचता है, फिर भी अमेरिका हर साल भारत से साढ़े तीन से चार लाख टन तक झींगा खरीदता है. झींगा किसान और एक्सपर्ट डॉ. मनोज शर्मा का कहना है कि हमारा झींगा अमेरिका वालों के लिए बहुत सुविधाजनक है. हम ज्यादातर माल रेडी टू ईट और रेडी टू कुक के हिसाब से भेजते हैं. जबकि इक्वाडोर के साथ ऐसा नहीं है.
भारत-इक्वाडोर कितना झींगा एक्सपोर्ट करते हैं?
- भारत हर साल 7 लाख टन झींगा एक्सपोर्ट करता है.
- 60 से 65 फीसद झींगा अमेरिका को एक्सपोर्ट होता है.
- इक्वाडोर चीन को करीब 10 से 11 लाख टन झींगा एक्सपोर्ट करता है.
- इक्वाडोर अमेरिका को करीब डेढ़ लाख टन झींगा एक्सपोर्ट करता है.
कैसे मिट्टी-पानी चाहिए झींगा उत्पादन के लिए?
- पंजाब फिशरीज डिपार्टमेंट के असिस्टेंट डायरेक्टर कर्मजीत सिंह ने इसके लिए मानक बताए हैं.
- मछलियों की तरह से झींगा को भी एक खास मिट्टी-पानी चाहिए होता है.
- झींगा के लिए बहुत खारे पानी की जरूरत होती है.
- पानी में कम से कम पांच पीपीटी तक खारापन होना चाहिए.
- पानी में मैगनिशियम और पौटेशियम भी बहुत जरूरी है.
- पानी में पौटेशियम नहीं है तो उसे हम पानी में ऊपर से भी डाल सकते हैं.
- लेकिन पानी का खारापन तो प्राकृतिक ही होना चाहिए.
- खारा यानि नमक वाला पानी झींगा मछली के लिए अमृत जैसा है.
- जमीन के पानी में किसी भी तरह के बैक्टेरिया नहीं होते हैं.
- जमीन का खारा पानी झींगा के लिए पूरी तरह से प्योर होता है.
- पानी खारा है तो एक एकड़ के तालाब में चार टन तक झींगा का उत्पादन होता है.
- कुछ इसी तरह के मानक मिट्टी के लिए भी चाहिए होते हैं.
कितने दिन में तैयार हो जाता है झींगा?
- मौसम और तालाब साथ दे तो एक एकड़ में चार से साढ़े चार टन तक झींगा तैयार हो जाता है.
- मौसम और तालाब में फिर भी कमी रह जाए तो साढ़े तीन टन तक झींगा तैयार हो जाता है.
- 90 दिन यादिन तीन महीने में फसल बिकने के लिए तैयार हो जाती है.
- 14 से 15 ग्राम का झींगा 90 दिन में तैयार हो जाता है.
- बाजार में 30 ग्राम वजन वाले झींगा की डिमांड है तो 120 दिन में तैयार हो जाता है.
- दोनों के रेट में बाजार में 40 से 50 रुपये का अंतर आता है.
चुरू, राजस्थान में कैसे हो रहा झींगा उत्पादन?
- चुरू, राजस्थान में झींगा उत्पादन हो रहा है.
- झींगा को 26 से 32 डिग्री तापमान वाला पानी चाहिए होता है.
- तालाब के पानी के तापमान और बाहरी तापमान में 5-6 डिग्री का अंतर रहता है.
- झींगा के तालाब के पानी का तापमान बनाए रखने के लिए कई तरह के उपकरण लगाए जाते हैं.
- इरेटर जैसे उपकरण पानी में मूवमेंट बनाते रहते हैं जिससे ऑक्सीजन की कमी नहीं होती है.
- पानी में मूवमेंट के चलते पानी जल्दी गर्म और ठंडा भी नहीं होता है.
- पानी और मिट्टी की जांच के लिए चुरू में एक लैब बनाई गई है.
- 68 करोड़ रुपये की लागत से ये लैब तैयार की गई है.
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