ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) मछली पालकों के लिए एक नया बाजार साबित हो रहा है. यही वजह है कि बड़ी तेजी से मछली पालक ओएनडीसी पर रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं. डिमांड आने पर ऑनलाइन मछली बेच रहे हैं. ओएनडीसी का एक बड़ा फायदा ये हो रहा है कि मछली पालन सीधे उपभोक्ता को मछली बेचकर अच्छे दाम कमा रहे हैं. वहीं मछली खरीदार को ताजा मछली मिल रही है. ओएनडीसी की शुरुआत केन्द्रीय मत्स्य मंत्रालय के सहयोग से हुई है. बीते साल फरवरी में केन्द्रीय मत्स्य पालन मंत्री ने इसकी शुरुआत की थी.
अभी तक मछली पालन करने वालों और मछली पकड़ने वाले मछुआरा समुदाय की शिकायत ये थी कि उन्हें उनकी मछली का पूरा दाम नहीं मिल पाता है. वहीं बाजार में दुकानदार और ग्राहक की शिकायत ये होती है कि उन्हें ताजा मछली नहीं मिल रही है. खास बात ये भी है कि इस योजना की मदद से मछली खाने के शौकीनों को अलग-अलग वैराइटी की ताजा मछली बाजार में खाने को मिलेगी. वहीं मछली का घरेलू बाजार भी बढ़ेगा.
केन्द्रीय मत्स्य पालन मंत्रालय से जुड़े जानकारों की मानें तो मछली पालन से जुड़े करीब 35 एफएफपीओ पहले ही ओएनडीसी के नेटवर्क पर शामिल हो चुके हैं. ये सभी आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के हैं. ओएनडीसी की मदद से मत्स्य पालन विभाग का मकसद मछली पालकों को एक डिजिटल प्लेटफार्म देना है. पारंपरिक मछुआरों, मछली किसान उत्पादक संगठनों और मत्स्य पालन क्षेत्र के कारोबारियों को ई-मार्केट प्लेस की मदद से अपने प्रोडक्ट को खरीदने और बेचने के लिए जागरुक बनाना भी है. ओएनडीसी ई-मार्केटिंग का एक अनूठा मंच है जो मछुआरों, मछली किसानों, एफएफपीओ, स्वयं सहायता समूहों और अन्य मछुआरा सहकारी समितियों को जोड़कर मत्स्य पालन क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
ओएनडीसी के साथ मिलकर मत्स्य पालन विभाग की कोशिशों के चलते इस पहल से मछली पालन से जुड़े वैल्यू एडेड प्रोडक्ट को बढ़ावा देने में भी ये प्लेटफार्म सहायता देगा. रेडी टू ईट और रेडी टू कुक को बढ़ावा मिलेगा. घरेलू मछली की खपत बढ़ाने और मछली उत्पादों को खरीदने और बेचने के लिए सभी पारंपरिक मछुआरों, एफएफपीओ को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जोड़ने की डीओएफ की इस पहल से घरेलू मछली की खपत को बढ़ाने में मदद मिलेगी.
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