Animal Care: 90 दिन की खास देखभाल से दूर हो सकती है गर्भवती भैंस की हर परेशानी, पढ़ें डिटेल 

Animal Care: 90 दिन की खास देखभाल से दूर हो सकती है गर्भवती भैंस की हर परेशानी, पढ़ें डिटेल 

गर्भकाल के दौरान भैंस की देखभाल कैसे की जाए, ये जानकारी लेने के लिए केन्द्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान (सीआईआरबी), हिसार की बेवसाइट की मदद भी ली जा सकती है. सीआईआरबी गर्भवती भैंस की शेड, खानपान और हैल्थ से जुड़ी देखभाल के बारे में हर तरह की जानकारी देता है. 

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Animal Care: 90 दिन की खास देखभाल से दूर हो सकती है गर्भवती भैंस की हर परेशानी, पढ़ें डिटेल भैंस खरीदते समय इन बातों का रखें ध्यान

भैंस का गर्भकाल 310 से 315 दिन तक का होता है. वैसे तो गर्भकाल का हर एक दिन बहुत खास होता है, लेकिन 310 में भी 90 दिन गर्भवती भैंस के लिए बहुत ज्यादा खास बताए गए हैं. खासतौर पर भैंस की हैल्थ को लेकर. एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि अगर गर्भकाल के दौरान भैंस की अच्छी तरह से देखभाल की तो बच्चा तो हेल्दी मिलेगा. इतना ही नहीं भैंस भी तंदुरुस्त रहेगी और खूब दूध भी देगी. हालांकि कुछ पशुपालकों का ये सवाल भी होता है कि हम कैसे पहचाने की भैंस गर्भ से है. तो इसका पता भैंस के हीट में न आने से लगाया जा सकता है. हर 21 दिन बाद भैंस हीट में आती है. और जब दोबारा से भैंस हीट में न आए तो समझ जाएं कि भैंस कितने दिन के गर्भ से है. 

पशु चिकित्सक से भी भी भैंस के गर्भ की जांच करा सकते हैं. और जब ये पक्का हो जाए कि भैंस गर्भ से है तो उनकी तीन तरह से देखभाल शुरू कर दें. गर्भवती भैंस के लिए अच्छा खानपान इसलिए जरूरी हो जाता है कि एक तो उसके गर्भ में बच्चा पल रहा होता है, दूसरे बच्चा देने के बाद उसे दूध भी देना है. इसलिए उसे बहुत सारे पोषक तत्वों  की जरूरत होती है. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो खासतौर पर आखिरी के तीन महीने आठवां, नौंवा और दसवें में. अगर ऐसे वक्त में खानपान में कोई कमी रह जाती है तो भैंस को कई तरह की परेशानी हो सकती हैं. 

खानपान में कमी से ये हो सकते हैं नुकसान 

खानपान की कमी से बच्चा कमजोर और अंधा पैदा हो सकता है. 
बच्चा देने के बाद भैंस को मिल्क फीवर हो सकता है.
भैंस फूल दिखा सकती है और जेर रूक सकती है.
भैंस की बच्चेदानी में मवाद पड़ सकता है. 
बच्चा देने के बाद दूध उत्पादन घट सकता है.

ऐसा होना चाहिए गर्भवती भैंस का शेड 

आठवें महीने के बाद से भैंस को दूसरे पशुओं से अलग रखना चाहिए. 
भैंस का बाड़ा उबड़-खाबड़ तथा फिसलन वाला नहीं होना चाहिए.
बाड़ा हवादार और भैंस को सर्दी, गर्मी और बरसात से बचाने वाला हो.
बाड़े में रेत-मिट्टी का कच्चा फर्श हो और सीलन न हो.  
ताजा पीने के पानी का इंतजाम होना चाहिए.

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