जम्मू-कश्मीर समेत दक्षिण भारत के कई राज्यों में भेड़ों का मीट बहुत पसंद किया जाता है. कश्मीर में भेड़ के मीट बाजार का तो ये हाल है कि 45 फीसद डिमांड दूसरे राज्यों से भेड़ मंगाकर पूरी की जाती है. हालांकि जम्मू-कश्मीर में भी भेड़ पालन होता है लेकिन भेड़ के मीट की डिमांड पूरी करने के लिए वो नाकाफी है. इसलिए ऑस्ट्रेलिया से खासतौर पर मीट की डिमांड को पूरी करने के लिए डॉर्पर नस्ल की भेड़ मंगाई जा रही हैं. भेड़ों की ये नस्ल मीट के लिए पाली जाती है.
डॉर्पर भेड़ का वजन तेजी से बढ़ता है. जानकारों की मानें तो ऑस्ट्रेलिया से ब्रीडिंग के लिए खासतौर पर मेल और फीमेल डॉर्पर भेड़ मंगाई जा रही हैं. लेकिन ऑस्ट्रेलिया से भारत लाकर डॉर्पर भेड़ का पालन करना आसान नहीं है. उसके लिए शेड में रखरखाव से लेकर खाने-पीने का भी खास ख्याल रखना होगा. इतना ही नहीं डॉर्पर भेड़ों को हेल्दी रखने के लिए भी खास देखभाल की जरूरत होगी.
डॉर्पर भेड़ एक कठोर नस्ल की होती है, जो अपने मीट उत्पादन के लिए जानी जाती है. डॉर्पर भेड़ को रखने के लिए उसकी खास जरूरत को ध्यान में रखते हुए सावधानीपूर्वक ध्यान देना होता है. इसी से जुड़े तीन खास सुझाव यहां दिए जा रहे हैं.
डॉर्पर भेड़ को ऐसी खुराक की जरूरत होती है जिसमें उच्च गुणवत्ता वाले चारे (घास) और पूरक अनाज का मिश्रण शामिल हो. खासतौर पर शुष्क मौसम के दौरान. ये ख्याल रखे कि डॉर्पर भेड़ों को अपनी पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए मिनरल्स की जरूरत होती है. एक्सपर्ट का कहना है कि उचित भोजन हेल्दी शरीर की स्थिति को बनाए रखने, ग्रोथ और उच्च गुणवत्ता वाले मांस उत्पादन को बढ़ाने में मदद करता है. अगर पीने के पानी की बात करें तो डॉर्पर भेड़ों को हमेशा साफ, ताजा पानी चाहिए होता है.
डॉर्पर भेड़ें कठोर होती हैं फिर भी उन्हें चरम मौसम की स्थिति से सुरक्षा की जरूरत होती है. उन्हें बारिश, हवा और तेज धूप से बचाने के लिए अच्छे हवादार शेड की जरूरत होती है. अगर चारागाह की बात करें तो रोटेशनल चराई को लागू करने से ओवर ईटिंग को रोका जा सकता है और यह तय किया जा सकता है कि चारागाह हरा-भरा और उत्पादक बना रहे.
बीमारी, परजीवियों और चोटों के लक्षणों के लिए नियमित रूप से डॉर्पर भेड़ों की निगरानी करनी चाहिए. डॉर्पर भेड़ें आम तौर पर रोग-प्रतिरोधी होती हैं, लेकिन पशु चिकित्सक द्वारा सुझाए गए नियमित रूप से कृमिनाशक और टीकाकरण महत्वपूर्ण हैं. लंगड़ापन को रोकने के लिए उचित खुर की देखभाल बहुत जरूरी है.
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