कंपनी भारत के बाद अब अफ्रीकी देशों में कारोबार बढ़ा रही है और वहां बायोगैस प्लांट लगाए जाएंगे. Biogas Plant नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड (NDDB) देश में हर रोज 16 करोड़ टन गोबर की खरीद करेगी. इसे लेकर बोर्ड ने तैयारियां तेज कर दी हैं. बोर्ड ऐसा रोडमैप तैयार कर रहा है जिसकी मदद से ऐसे पशुपालकों से भी गोबर की खरीद की जाए जो मिल्क कोऑपरेटिव की जगह सीधे प्राइवेट कंपनियों को दूध बेचते हैं. जबकि मिल्क कोऑपरेटिव को दूध बेचने वाले पशुपालक हर रोज दूध के साथ ही गोबर भी बेचते हैं. डेयरी सेक्टर में भी बोर्ड के इस रोडमैप की चर्चा हो रही है.
जानकारों की मानें तो हर रोज खरीदे जाने वाले 16 करोड़ टन गोबर का इस्तेमाल बायो गैस बनाने में किया जाएगा. साथ ही गैस बनाने के बाद बचने वाली स्लरी की खाद बनाकर पशुपालकों को खेतों में छिड़कने के लिए बहुत ही कम दामों पर दी जाएगी. इसके पीछे एक मकसद ये भी है कि पशुपालकों की इनकम बढ़ाने, पर्यावरण को सुधारने और गोबर को धन बनाने पर काम किया जाएगा.
बोर्ड से जुड़े जानकारों की मानें तो इस एक योजना से तीन बड़े फायदे होंगे. छोटे पशुपालक से लेकर बड़े डेयरी प्लांट तक को इससे फायदा होगा. पशुपालकों से गोबर खरीदकर कुशल खाद प्रबंधन बन जाएगा, ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा जिससे पर्यावरण को सुधारने का मौका भी मिलेगा. नेशनल वर्कशॉप के मौके पर कार्बन उत्सर्जन को कम करने और छोटे डेयरी किसानों के लिए वित्तीय व्यवहार तय करने के लिए रणनीतियों पर चर्चा हुई. इस मौके पर डेयरी क्षेत्र में स्थिरता के उद्देश्य से व्यापक दिशानिर्देश जारी किए गए. साथ ही एनडीडीबी के लघु पैमाने पर बायो गैस, बड़े पैमाने पर बायोगैस/संपीड़ित बायोगैस परियोजनाओं और स्थायी डेयरी के वित्तपोषण के लिए एनडीडीबी सस्टेन प्लस परियोजना के तहत वित्तपोषण पहल की शुरुआत की गई है.
डेयरी सेक्टर से जुड़े एक्सपर्ट का कहना है कि डेयरी क्षेत्र में टिकाऊ प्रथाओं की आवश्यकता और सर्कुलर अर्थव्यवस्था सिद्धांतों को एकीकृत करने में सरकार का दृष्टिकोण महत्वपूण है. भारत “विश्व की डेयरी” है. डेयरी क्षेत्र कृषि जीवीए में 30 प्रतिशत का योगदान देता है. वहीं एनडीडीबी ने एक हजार करोड़ रुपये के आवंटन के साथ एक नई वित्तपोषण योजना शुरू की है. इसका मकसद छोटे बायोगैस, बड़े पैमाने के बायोगैस संयंत्रों और संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी) परियोजनाओं के लिए ऋण सहायता के माध्यम से वित्तीय सहायता दी जाएगी. जिससे अगले 10 साल में विभिन्न खाद प्रबंधन मॉडलों को बढ़ाने में मदद मिलेगी. आज जब हम श्वेत क्रांति 2.0 की ओर बढ़ रहे हैं. ये डेयरी सेक्टर ही है जो किसानों और पशुपालकों की इनकम को बढ़ाने का काम करेगा और रोजगार भी देगा.
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