भारत में डेयरी फार्मिंग को मॉनसून के मौसम में अनोखी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. जिससे पशुओं का स्वास्थ्य और उत्पादकता दोनों प्रभावित होती है. बारिश के दौरान बढ़ी हुई नमी और पर्यावरण में बदलाव के कारण ऐसी परिस्थितियां पैदा होती हैं, जो डेयरी पशुओं की सेहत और खेती के कामों की दक्षता को काफी हद तक प्रभावित कर सकती हैं. इन समस्याओं का समाधान किसानों को मिल सके इस कड़ी में गोदरेज जर्सी के सीईओ भूपेंद्र सूरी ने बरसात के मौसम में डेयरी किसानों को कुछ जरूरी उपाय बताए हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि मॉनसून के मौसम में पशुओं और पशुपालकों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है और उसका समाधान क्या है.
गोदरेज जर्सी के सीईओ भूपेंद्र सूरी का कहना है कि मॉनसून सीजन में, डेयरी पशुओं को अन्य मौसमों की तुलना में विभिन्न वायरस, बैक्टीरिया और संक्रमण के संपर्क में आने का दोगुना जोखिम होता है. हवा में बढ़ी हुई नमी हानिकारक सूक्ष्मजीवों के पनपने के लिए बेहतर वातावरण बनाती है, जिससे कई बीमारियां फैलती हैं. खराब जल निकासी और छतों के टपकने के कारण डेयरी फार्म्स में जलभराव की समस्या देखी जाती है, जिससे खराब वातावरण बनता है और कई पानी पे पनपने वाली बीमारियों का भी खतरा बढ़ जाता है. अन्य मौसम संबंधी स्थितियों के साथ-साथ खुरपका और मुंहपका रोग, रक्तस्रावी सेप्टीसीमिया और एंथ्रेक्स जैसी बीमारियों से भी खतरा बढ़ जाता है.
ये भी पढ़ें: Calf Care: बरसात के मौसम में बछड़ों की कैसे करें खास देखभाल, जानें डिटेल
भूपेंद्र सूरी बताते हैं कि मॉनसून के दौरान अत्यधिक नमी से चारे में फफूंदी लग जाती है, जिसे अगर मवेशियों ने खा लिया, तो यह उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है. मॉनसून के दौरान उपलब्ध चारा हरा-भरा तो होता ही है, साथ ही इसमें पानी की मात्रा भी अधिक होती है. इस प्रकार का चारा खिलाने से कभी-कभी मवेशियों का पेट खराब हो सकता है. इससे पशुओं के चारे की मात्रा और चरागाहों की संख्या में कमी आती है, जिससे पशुओं खाने की समस्याएं और बढ़ जाती हैं.
ये भी पढ़ें: Animal Disease: जरा सी अनदेखी बरसात में दूध पीने वालों पर पड़ सकती है भारी, जानें वजह
बारिश के मौसम में नियमित रूप से मवेशियों के शेड को अच्छी तरह से साफ और कीटों को हटा देना चाहिए.
कचरे और गोबर को सही जगह पर फेंकना चाहिए. इसके लिए वैज्ञानिक रूप से डिज़ाइन किए गए गड्ढों का उपयोग करें. स्वच्छता सुनिश्चित करने के साथ ही दूध उत्पादन के लिए वैज्ञानिक पद्धतियों को अपनाएं और उनका पालन करें. भूपेन्द्र सूरी ने कहा कि संक्रामक एजेंट ले जाने वाले बाहरी परजीवियों को नियंत्रित करने के लिए फॉगिंग और कीटाणुशोधन का उपयोग करें.
इन चुनौतियों का समाधान करके और निवारक उपायों को लागू करके, डेयरी किसान बारिश से जुड़े जोखिमों का बेहतर प्रबंधन कर सकते हैं. अपने पशुधन के स्वास्थ्य और उत्पादकता को सुनिश्चित कर सकते हैं और सस्टेनेबल डेयरी फार्मिंग प्रैक्टिस को अपना सकते हैं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today