बारिश के दौरान पशुओं को कई तरह की बीमारियां हो जाती हैं. इसमे कुछ तो संक्रमण वाली बीमारी होती हैं. इसी में से एक है थनैला रोग. हैल्थ एक्सपर्ट की मानें तो जब पशु थनैला बीमारी से पीडि़त हो तो ऐसे वक्त में गाय-भैंस का दूध पीना खतरे से खाली नहीं होता है. क्योंकि पशुपालक कुछ लीटर दूध के लालच में बीमारी से संक्रमित दूध को बेच देते हैं. लेकिन दूध खरीदते वक्त थोड़ी सी सजगता के चलते इस तरह के दूध को पीने से बचा जा सकता है. जब पशुपालक गाय-भैंस का दूध निकाल रहा हो तो एक बार पशु के थन पर निगाह जरूर डाल लें, अगर थनों पर सूजन या जख्म जैसा कुछ नजर आए तो हरगिज भी उस पशु के दूध को ना खरीदें.
अगर थनों के अंदर दवा लगी हो तो ऐसे पशुओं का दूध 72 घंटे तक इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. ऐसे दूध को पीने से मनुष्य में तपेदिक, गले में खराश जैसी बीमारियां हो सकती है. हाल ही में गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी, लुधियाना में हुए एक कार्यक्रम के दौरान भी डेयरी में होने वाले नुकसान के लिए सबसे बड़ी वजह थनैला रोग को माना गया है. डेयरी एक्सपर्ट का तो यहां तक कहना है कि कभी-कभी पशुपालकों को थनैला रोग से प्रभावित अपने पशुओं को बेचने और डेयरी को बंद करने के लिए भी मजबूर होना पड़ता है.
ये भी पढ़ें: डेटा बोलता है: बढ़ते दूध उत्पादन से खुला नौकरियों का पिटारा, जानें कैसे
थनो और निप्पलों पर चोट का लगाना.
पशु के अंदरूनी संक्रमण से.
पशु शेड में गंदगी के चलते.
गलत तरीके से या आधा ही दूध निकालना.
लटकते हुए थन और लंबे बेलनाकार निपल.
गंदी मिल्किंग मशीन का इस्तेमाल करने से.
पशु शेड में मच्छर, मक्खी , गोबर और धूल-मिट्टी के चलते.
पशुओं को बुखार आने के चलते.
ये भी पढ़ें: Reproduction: हीट में आने के बाद भी गाय-भैंस गाभिन ना हो तो घर पर ऐसे करें इलाज
दूध का पीला, भूरा या लाल होना.
थन का गर्म होना और दर्दनाक सूजन.
पीडि़त पशु के दूध में थक्को का दिखाई देना.
थनैला पीडि़त पशु का दूध गर्म करने पर फट जाता है.
दूध दहने से पहले धानों की अच्छे से सफाई करे.
दूध निकालने के बाद बछड़े को दूध पीने दें.
मिल्किंग मशीन को पूरी तरह से साफ रखें.
पीडि़त पशुओं को अलग करके इलाज करना चाहिए.
दूध निकालने से पहले साबुन से हाथो को अच्छी तरह से धोना चाहिए.
दूध दुहने के बाद एंटीसेप्टिक जैसे लाल दवा में निपलो को डुबोना चाहिए.
पशुओं के शेड के फर्श को हमेशा साफ रखना चाहिए.
शेड में आने वाली मक्खियों को नियंत्रित करने के उपाय करना चाहिए.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today