किसी भी बिजनेस सेक्टर के लिए स्टार्ट-अप को अहम कड़ी माना जा रहा है. एक्सपर्ट का कहना है कि स्टार्ट-अप रिसर्च एंड डवलपमेंट (R&D) और इनोवेशन के क्षेत्र में सराहनीय काम कर रहे हैं. शायद यही वजह है कि केन्द्र सरकार ने आम बजट 2025 में स्टार्ट-अप के लिए 20 हजार करोड़ का बजट दिया है. सरकार के इस ऐलान को डेयरी और फिशरीज के लिए भी अहम माना जा रहा है. क्योंकि लाइव स्टॉक सेक्टर से जुड़े भविष्य को लेकर कई तरह की बड़ी-बड़ी बातें कही जा रही हैं. खासतौर से युवाओं के लिए नौकरी समेत कारोबार के लिए तो ये सेक्टर पिटारा बताया जा रहा है.
इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट आरएस सोढी का कहना है कि आने वाले सात-आठ साल में डेयरी, पशुपालन, फिशरीज और पोल्ट्री सेक्टर में बड़ा बदलाव आने वाला है. हजारों करोड़ रुपये का इंवेस्ट होगा. शहर और गांव में रोजगार के मौके मिलेंगे. वहीं डेयरी और पशुपालन एक्सपर्ट का मानना है कि इसके लिए इस सेक्टर से जुड़ी तमाम तरह की परेशानियों को दूर करना होगा. टेक्नोलॉजी के मामले में इसे हाईटेक बनाना होगा.
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फिशरीज सेक्टर में स्टार्ट-अप के लिए लक्ष्य तय किए जा रहे हैं. बीते साल इसी विषय को लेकर केन्द्रीय मत्यस विभाग और स्टार्टअप्स के बीच एक मीटिंग हुई थी. मीटिंग के दौरान संयुक्त सचिव (मरीन फिशरीज) नीतू कुमारी प्रसाद ने स्टार्टअप्स को संबोधित करते हुए कहा कि आने वाले वक्त को देखते हुए हम उम्मीद करते हैं कि फिशरीज सेक्टर में स्टार्टअप्स चार खास क्षेत्र जैसे फीड लागत में कमी, गुणवत्ता वाले बीज की उपलब्धता, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, मार्केटिंग और रेग्यूलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस) पर काम करना होगा. फिशरीज एक्सपर्ट की मानें तो आज बाजार में ऐसे सीफूड की जरूरत है जो सस्ता हो, क्वालिटी का हो और साथ में बाजार में हर जगह मिल जाए.
स्टार्ट-अप और एंटरप्रेनर के बारे में गडवासु के पूर्व वाइस चांसलर डॉ. इंद्रजीत सिंह का कहना है कि इस मदद से इनोवेटर्स के विजन को हकीकत में बदला जाएगा. उन्हें एक उज्जवल और भविष्य का ज्यादा टिकाऊ रास्ता प्रदान करना है. हितधारकों के बीच नवीन विचारों को प्रोत्साहित करना और उन्हें उद्यमिता के लिए प्रेरित करना है. उन्होंने कहा कि पशुधन क्षेत्र में उद्यमिता अर्थव्यवस्था में स्थिरता पैदा कर सकती है.
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