पोल्ट्री सेक्टर से जुड़े एक्सपर्ट और तमाम पोल्ट्री एसोसिएशन जिसकी आशंका जता रहीं थी वही डर अब सामने आने लगा है. हाल ही में पोल्ट्री को लेकर क्रिसिल रेटिंग्स ने बड़ी चेतावनी है. क्रिसिल का कहना है कि आने वाले वित्त वर्ष में पोल्ट्री का मुनाफा घट सकता है. क्रिसिल ने पोल्ट्री सेक्टर से जुड़ी 30 बड़ी कंपनियों का आंकलन करने के बाद ये रिपोर्ट जारी की गई है. क्रिसिल के मुताबिक ये वो कंपनियां हैं जिन्होंने बीते वित्त वर्ष में 10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का रेवेन्यू कमाया है.
कंपनी ने इसके पीछे जो बड़ी वजह बताई है उसे बारे में पोल्ट्री एसोसिएशन करीब दो साल पहले से सरकार को चेता रही हैं. लेकिन अभी तक उन पर सरकार की ओर से कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया है. क्रिसिल का कहना है कि फीड की बढ़ती कीमतों के चलते पोल्ट्री प्रोडक्ट पर बड़ा असर पड़ रहा है. पोल्ट्री फीड का मुख्य तत्व मक्का खासतौर पर पोल्ट्री फार्मर को परेशान कर रहा है. फीड में मक्का की खपत 60 से 65 फीसद है.
क्रिसिल रेटिंग्स के आधार पर जारी हुईं मीडिया रिपोर्टस की मानें तो मक्का और सोया (फीड) की कीमतों में अनुमानित तेजी की वजह से अगले वित्त वर्ष में मुनाफा कम होने की उम्मीद है. क्रिसिल रेटिंग्स की निदेशक जयश्री नंदकुमार का कहना है कि कुल फ़ीड लागत में लगभग 30 प्रतिशत का योगदान देने वाले सोया की कीमतों में पिछले वित्त वर्ष और इस वित्त वर्ष में बंपर फसल के कारण गिरावट आई है. हालांकि, सोया के रकबे में कमी आने की उम्मीद है, इसलिए अगले वित्त वर्ष में कीमत में वृद्धि होने की संभावना है. वहीं दूसरी ओर कुल फीड लागत में करीब 60 फीसद का योगदान देने वाले मक्का की कीमत में भी एथेनॉल उत्पादन की बढ़ती डिमांड के चलते तेजी होने की उम्मीद है.
क्रिसिल रेटिंग्स का दावा है कि ब्रॉयलर चिकन और अंडों की घरेलू खपत में तेजी आएगी. भारत में अंडों और पोल्ट्री मीट की प्रति व्यक्ति खपत हालांकि कम है. क्रिसिल रेटिंग्स के एसोसिएट डायरेक्टर ऋषि हरि का कहना है कि डिमांड और फीड की ऊंची लागत को देखते हुए हम उम्मीद करते हैं कि अगले वित्त वर्ष में ये चार से पांच फीसद तक बढ़ेगी. वहीं ब्रॉयलर चिकन की प्रति किलोग्राम औसत कीमत तीन से पांच फीसद और प्रति दर्जन अंडे की औसत कीमत में सालाना आधार पर दो से चार फीसद की तेजी आ सकती है. हालांकि इस दौरान फीड लागत, ब्रॉयलर और अंडे की कीमतों में उतार-चढ़ाव के साथ-साथ बर्ड फ्लू के असर पर भी नजर रखी जाएगी.
पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के ज्वाइंट सेक्रेटरी रिकी थापर ने किसान तक से बातचीत में कहा कि हम बीते लम्बे वक्त से मांग कर रहे हैं कि पोल्ट्री सेक्टर और पोल्ट्री फार्मर को बचाने के लिए जरूरी है कि जीएम मक्का की खेती करने और जीएम मक्का इंपोर्ट करने की अनुमति दी जाए. पोल्ट्री को बचाने के लिए अभी यही एक मात्र रास्ता है.
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