इस साल देशभर में जबरदस्त बरसात हुई है. वैसे तो बारिश का महीना किसानों के लिए फायदेमंद माना जाता है लेकिन कई बार ये नुकसानदायक भी हो जाता है. आपको बता दें कि बरसात फसलों के लिए संजीवनी है लेकिन अगर जरूरत से ज्यादा हो जाए तो इससे फसलों के नष्ट होने का भी खतरा बना रहता है. अनाजों और बागवानी फसलों के अलावा पशुओं के लिए चारे वाली फसलों को भी बारिश से काफी नुकसान पहुंचा है जिसके चलते हरे चारे की उपलब्धता में कमी देखी जा रही है. अधिकांश लोग सोचते हैं कि बारिश में तो हरे चारे खूब दिखते हैं फिर इसमें कमी क्यों बताई जा रही है, तो इस खबर में आपकी ये उलझन दूर करते हैं.
बरसात के महीने में अगर सामान्य वर्षा होती है तो सभी फसलों के लिए बढ़िया रहता है. लेकिन अगर बरसात जरूरत से ज्यादा हो जाए तो फसलों के लिए नुकसानदायक है. आपको बता दें कि इस साल अधिक बारिश और बाढ़ के चलते किसानों के साथ पशुपालकों को भी बड़ा झटका लगा है. हरे चारे की समस्या बढ़ गई है. आपको बता दें कि इन दिनों मक्का, ज्वार और बाजरे जैसी चारे वाली फसलें अधिक बारिश की वजह से तबाह हो जाती हैं. इसके अलावा चारे में नमी अधिक होने की वजह से फफूंद और अन्य कीटों की समस्या बनी रहती है. यही कारण है कि इन दिनों चारे की समस्या बढ़ जाती है.
अगर आप पशुपालक हैं और हरे चारे की समस्या का सामना कर रहे हैं तो आपको ये जानना भी जरूरी है कि आखिर इसका विकल्प क्या है? आपको बता दें कि इन दिनों सूखा चारा-भूसा और साइलेज खिलाना अच्छा माना जाता है. साइलेज की बात करें तो ये हरे चारे वाली फसलों के तनों को काटकर बनाया जाता है.
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इन्हें महीने भर स्टोर करके रखा जा सकता है. आपको बता दें कि साइलेज बनाते हुई इसकी नमी को सूखा लें ताकि उसमें फंगस का खतरा ना हो और लंबे समय तक स्टोर कर रखें. आइए जान लेते हैं कि साइलेज कैसे बनाया जाता है?
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