AI and Liquid Nitrogen राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के तहत पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination) किया जा रहा है. कृत्रिम गर्भाधान गाय या भैंस के सामने बुल को लाने की जरूरत नहीं होती है. पहले से ही उसके वीर्य (सीमन) को निकाल लिया जाता है. और उसकी छोटी-छोटी स्ट्रॉ बनाकर लिक्विड नाइट्रोजन से भरी टंकियों और छोटे-छोटे थर्मस में स्टोर कर लिया जाता है. और फिर जब, जहां जितनी जरूरत होती है पहुंचा दिया जाता है. कृत्रिम गर्भाधान पशुओं की नस्ल सुधार के लिए चलाया जा रहा है. खास बात ये है कि अब कृत्रिम गर्भाधान के लिए सीमन को स्टोर करने में परेशानी नहीं आएगी.
गांव हो या शहर, हर जगह एक लीटर से लेकर 10-20 लीटर तक लिक्विड नाइट्रोजन आराम से मिलेगी. कृत्रिम गर्भाधान में इस्तेमाल होने वाली लिक्विड नाइट्रोजन के सिलेंडरों की ढुलाई होगी. साथ ही सिलेंडर को लोड-अनलोड करने के लिए वाहनों में पुलिंग सिस्टम भी लगाया गया है. राजस्थान के 29 जिलो में एआई की कृत्रिम गर्भाधान की जरूरत पूरी करने के लिए तीन हजार लीटर की क्षमता वाले लिक्विड नाइट्रोजन साइलों की स्थापना की गई है.
एनिमल एक्सपर्ट डॉ. इब्ने अली का कहना है कि एआई सीमेन स्ट्रॉ से होती है. स्ट्रॉ खराब ना हो और उसकी क्वालिटी बरकरार रहे इसके लिए लिक्विड नाइट्रोजन का इस्तेमाल किया जाता है. सीमेन की स्ट्रॉ को रखने के लिए एक बर्तन की जरूरत होती है. इस बर्तन में पहले लिक्विड नाइट्रोजन भरी जाती है. इसी लिक्विड नाइट्रोजन में ही सीमेन की स्ट्रॉ रखी जाती हैं. और जब भी जितनी स्ट्रॉ की जरूरत होती है वो निकाल ली जाती हैं. और ऐसा करने के दौरान बर्तन में रखीं दूसरी स्ट्रॉ पर कोई असर नहीं पड़ता है.
राजस्थान के पशुपालन मंत्री जोराराम कुमावत का कहना है कि पशुओं की बीमारी और एआई की सुविधा देने के लिए राज्य में हेल्प लाइन सेवा भी दी जा रही है. इसके लिए हेल्प लाइन नंबर 1962 जारी किया गया है. अगर पशु बीमार हैं तो इस नंबर पर फोन कर सूचना देने के बाद डॉक्टरों की टीम मौके पर पहुंच जाती हैं. पशुओं के शेड में ही उसका इलाज किया जाता है. इतना ही नहीं अगर गाय-भैंस हीट में आ गई है तो इसकी सूचना भी इस नंबर पर दी जा सकती है. अगर पास के पशु केन्द्र पर सुविधा नहीं होगी तो एआई टीम आकर गाय-भैंस का कृत्रिम गर्भाधान कराती है.
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