Goat Feed: बकरे-बकरियों के लिए चारा नहीं है तो CIRG का ये फीड खाकर भी बढ़ेगी ग्रोथ और दूध 

Goat Feed: बकरे-बकरियों के लिए चारा नहीं है तो CIRG का ये फीड खाकर भी बढ़ेगी ग्रोथ और दूध 

Goat Feed and Fodder शहर में पशुओं को चराने के लिए जगह नहीं है. शहर में हरा चारा भी आसानी से नहीं मिल पाता है. और जब बकरों को हरा चारा ही खाने को नहीं मिलेगा तो वो मोटे-ताजे कैसे होंगे. ये वो लोग होते हैं जो बकरीद पर बेचने के लिए बकरे पालते हैं. लेकिन केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (CIRG), मथुरा के बनाए एक खास पैलेट फीड से स्टॉल फीड यानि घर पर पलने वाले बकरे भी हेल्दी बन सकते हैं. 

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Goat Feed: बकरे-बकरियों के लिए चारा नहीं है तो CIRG का ये फीड खाकर भी बढ़ेगी ग्रोथ और दूध Goat Farming

Goat Feed and Fodder गोट एक्सपर्ट के मुताबिक चारा खाने का भी बकरियों का अपना एक तरीका है. साथ ही उन्हें चराने के भी तीन अलग-अलग तरीके हैं. पहला जंगल या खुले मैदान में चराना. दूसरा 25-50 एकड़ के खुले फार्म में चरना और तीसरा है खूंटे से बांधकर या स्टॉल फीड कराना. बकरे-बकरियों के लिए चारे की परेशानी तब आती है जब वो खूंटे से बंधे हों या स्टॉल फीड करती हों. खुले मैदान में तो बकरियां खुद से यहां-वहां कुछ भी कहा लेती हैं. लेकिन असल परेशानी आती है खूंटे पर बंधी बकरियों के साथ या फिर स्टॉल फीड करने वाली के साथ. 

क्योंकि इन्हें तो एक जगह बैठकर खाने के लिए चाहिए ही चाहिए. बकरी पालकों की इसी परेशानी को दूर करने के लिए केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (CIRG), मथुरा ने एक खास फीड तैयार किया है. क्योंकि छोटी होती चारागाह और महंगा होता भूसा बकरी पालकों के लिए बड़ी परेशानी बनता जा रहा है. खासतौर से वो बकरी पालक जो घर पर दो-चार बकरे स्टॉल फीड पर पालते हैं. 

कैसे बनता है सीआईआरजी का पैलेट फीड

सीआईआरजी के साइंटिस्ट डॉ. रविन्द्र का कहना है कि शहर में बकरा-बकरी पालन करना अब कोई मुश्कि‍ल काम नहीं है. ये कोई जरूरी नहीं है कि बकरों को फार्म और घर में रखकर सूखे, हरे और दानेदार चारे का अलग-अलग इंतजाम किया जाए. सीआईआरजी ने चारे की फील्ड में कई ऐसी रिसर्च की है कि जिसके बाद आपको बकरे के लिए तीन तरह के अलग-अलग चारे का इंतजाम करने की जरूरत नहीं है. संस्थान के साइंटिस्ट ने हरे, सूखे और दाने वाले चारे को मिलाकर पैलेट्स फीड तैयार किया है. जरूरत के हिसाब से बकरे और बकरियों के सामने पैलेट्स रख दिजिए, जब पानी का वक्त हो जाए तो पानी पिला दिजिए. इसके अलावा कुछ और न खिलाने की जरूरत है और न ही पिलाने की.

बकरे की कौनसी नस्ल घर पर पाली जा सकती हैं 

सीआईआरजी के सीनियर साइंटिस्ट और बरबरी नस्ल के एक्सपर्ट एमके सिंह का कहना है कि बरबरी नस्ल को शहरी बकरी भी कहा जाता है. अगर आपके आसपास चराने के लिए जगह नहीं है तो इसे खूंटे पर बांधकर या छत पर भी पाला जा सकता है. अच्छा चारा खिलाने से इसका वजन नौ महीने का होने पर 25 से 30 किलो, एक साल का होने पर 40 किलो तक हो जाता है. अगर सिर्फ मैदान या जंगल में चराई पर ही रखा जाए तब भी एक साल का बकरा 25 से 30 किलो का हो जाता है.

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