आज भी ग्रामीण इलाकों में खेती के साथ-साथ पशुपालन बड़े पैमाने पर किया जाता है. गाय, भैंस, बकरी, मुर्गी आदि पशु-पक्षी यहां लंबे समय से पाले जाते रहे हैं. लेकिन ऊंट पालन आज भी बहुत कम किसान करते हैं. भारत में सबसे ज्यादा ऊंट पालन रेगिस्तानी इलाकों में होता रहा है. ऐसे में अगर आप भी गाय-भैंस के अलावा ऊंट पालन में रुचि रखते हैं तो ये खबर आपके लिए है. आइए जानते कैसे करें ऊंट पालन.
ऊंट एक अद्भुत पशु है, जो विपरीत परिस्थितियों में भी जीने का साहस रखता है. अधिक सर्दी हो या अधिक गर्मी, ऊंट आसानी से अपना जीवन जी सकता है. इसने बदलती परिस्थितियों में खुद को इस तरह से ढाल लिया है कि रेत के तूफान और सूरज की तेज किरणों का भी इस पर कोई असर नहीं होता. अजीब सा दिखने वाला यह पालतू जानवर कई दिनों तक बिना पानी पिए जिंदा रह सकता है. यह रेत के टीलों में बिना रुके और थके तेज धावक की तरह लंबी दूरी तक दौड़ सकता है. इसीलिए इसे रेतीले रेगिस्तान का जहाज भी कहा जाता है. राजस्थान में ऊंट को राज्य पशु का दर्जा प्राप्त है. इसलिए इसे मारना, वध करना, प्रताड़ित करना या अवैध रूप से निर्यात करना पूरी तरह प्रतिबंधित है.
भारत में गरीब लोगों के लिए ऊंट दैनिक आय का एक अच्छा स्रोत है. यह साधारण पशु न केवल कृषि और सिंचाई क्षेत्रों में उपयोगी है, बल्कि माल ढोने, निर्माण, मनोरंजन, सवारी और सफारी के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है. इसके अलावा, इनका उपयोग सीमा पर देश की सुरक्षा के लिए भी किया जाता है. इसीलिए ऊंटों को बहुउद्देश्यीय पशुओं में गिना जाता है. इनके बाल और खाल की व्यापक उपयोगिता के कारण पशुपालक इन्हें बाजार में ऊंचे दामों पर बेचकर काफी मुनाफा कमाते हैं.
ऊंटनी के दूध में औषधीय गुण होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है. औषधीय गुणों के कारण इसका दूध बाजार में हाथों-हाथ बिक भी जाता है. वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि ऊंटनी के दूध में न केवल भरपूर पोषक तत्व होते हैं, बल्कि उच्च गुणवत्ता वाले एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं. इसका उपयोग पीलिया, टीबी, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, दूध से एलर्जी जैसी बीमारियों के इलाज में भी किया जाता है. हालांकि इसके दूध में वसा कम होती है ऊंटनी का दूध आसानी से खराब नहीं होता और इससे खीर, गुलाब जामुन, कुल्फी, आइसक्रीम जैसे खाद्य पदार्थ तैयार किए जा सकते हैं, जो स्वादिष्ट और आसानी से पचने वाले होते हैं. बाजार में इसकी अच्छी मांग होने के कारण पशुपालकों को इसके अच्छे दाम मिलते हैं.
ये भी पढ़ें: Cow Breed: एक ब्यांत में 3500 लीटर A2 दूध देती है गाय की ये नस्ल, कीमत भी है कम
यदि ऊंटों के घूमने और रहने के लिए पर्याप्त भूमि हो, पर्याप्त भोजन और चारागाह उपलब्ध हो तो बिना किसी झिझक के व्यावसायिक स्तर पर ऊंट पालन किया जा सकता है, लेकिन इससे पहले इस पशु के व्यवहार, भोजन, रखरखाव के तरीके, उपयुक्त स्थान, ऊंटों की नस्लों की उपलब्धता, उनमें संक्रामक और संक्रामक मौसमी बीमारियां, टीकाकरण, प्रजनन, विपणन, प्रशिक्षण से संबंधित जानकारी जुटाना और जानना जरूरी है. इस व्यवसाय में पशु वैज्ञानिकों की नियुक्ति भी की जा सकती है, जो अधिक लाभदायक है. इससे आर्थिक नुकसान की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है. साथ ही आय बढ़ने की संभावना भी अधिक रहती है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today