आमतौर पर पशुपालन करने से पहले ये देखा जाता है कि हम किस मौसम में इसकी शुरुआत कर रहे हैं. एक्सपर्ट इस तरह के मौसम में पशुपालन करने की सलाह देते हैं जो पाले जा रहे पशु के लिए आरामदायक हो. मतलब वो जल्दी बीमार न पड़े, नई जगह आने-जाने के दौरान कोई परेशानी न हो. इतना ही नहीं खाने-पीने पर भी मौसम का असर न पड़े. लेकिन मुर्गी पालन के दौरान एक और खास बात का ख्याल रखना होता है. खासतौर पर उन मुर्गियों को पालने के दौरान जो अंडा देती हैं.
ऐसी मुर्गियों को लेअर बर्ड कहा जाता है. पोल्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि मुर्गियां पालने के दौरान मौसम के साथ-साथ अंडा उत्पादन, डिमांड और बाजार के रुख को भी देखा जाता है. अंडा ज्यादातर सीजन के हिसाब से बिकता है. सर्दियों के मौसम में ही अंडों की ज्यादा डिमांड आती है.
किसान तक के लाइव शो कुकड़ू-कु में पोल्ट्री एक्सपर्ट और मुर्गियों के डॉक्टर एनके महाजन ने बताया कि अगर आप अंडों के लिए लेअर पोल्ट्री फार्मिंग करना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको शेड की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए. इसके लिए बेहतर होगा कि मई-जून में शेड की तैयारी कर लें. जुलाई-अगस्त में फार्म के लिए एक दिन का चूजा (डीओसी) ले आएं. क्योंकि ये वो मौसम होगा जब गर्मी ज्यादा नहीं होगी. लेकिन फिर भी एक दिन के चूजे से लेकर तीन हफ्ते तक के चूजे के लिए 90 से 95 फारेनहाइट तक तापमान शेड में बनाकर रखें.
20 से 22 दिन का चूजा होने पर हर हफ्ते पांच फारेनहाइट तक तापमान कम करते रहें. लेकिन किसी भी हाल में 70 फारेनहाइट से कम न रखें. वहीं 100 फारेनहाइट से ज्यादा न होने दें. दूसरी ओर खासतौर पर चूजों को बिना टीडीएस की जांच कराए पानी न पिलाएं. हालांकि ये नियम बड़ी मुर्गियों के लिए भी लागू होता है. लेकिन चूजों के मामले में कई बार इलाज तक का मौका नहीं मिलता है. इसलिए टीडीएस की जांच कराकर 150 से 200 टीडीएस वाला ही पानी पिलाएं. पीने का पानी भी 20 से 22 डिग्री तापमान वाला ही हो, ज्यादा गर्म-ठंडा न हो.
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