हर तरह की मछली की बढ़वार (ग्रोथ) का वक्त तय है. लेकिन ये तब है जब आप उसको तालाब में पानी अच्छा दें. मछली को दिया जा रहा फीड क्वालिटी का हो. समय-समय पर तालाब की सफाई की जा रही हो. तालाब में रहने के लिए मछलियों को जरूरत की जगह मिल रही हो. और इस सब की शुरुआत हो जाती है जब हम तालाब में बीज डालने की शुरुआत करते हैं. फिशरीज एक्सपर्ट की मानें तो अगर इन सब चीजों का ध्यान ना रखा जाए तो मछली की ग्रोथ तो रुकती ही है, साथ में मछलियां बीमार होकर मरने भी लगती हैं.
इसलिए जरूरी है कि मछली का बीज डालने से पहले तालाब से जलीय खर-पतवार को बाहर निकाल दिया जाए. खर-पतवार निकालने के लिए मजदूर की मदद ली जा सकती है. वहीं जाल से भी इसको निकाला जा सकता है. जबकि रासायनिक दवा का छिड़काव करना भी एक तरीका है. एक एकड़ के तालाब में 3 किलोग्राम 2-4 D दवा का इस्तेमाल करना चाहिए.
ये भी पढ़ें: मैंने कभी नहीं खाया दिल्ली का पनीर...दिवाली से पहले डेयरी मंत्री ने बताई वजह
फिशरीज एक्सपर्ट के मुताबिक तालाब से गैर जरूरी मछलियों को बाहर कर देना चाहिए. इसका तरीका ये है कि जाल चलाकर इन्हें बाहर किया जाए या फिर तालाब को सुखाया भी जा सकता है. वहीं एक हजार किलोग्राम प्रति एकड़ महुआ की खली या फिर 150 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से ब्लीचींग पाउडर का इस्तेमाल किया जा सकता है. ब्लीचींग पाउडर का इस्तेमाल शाम को सूरज डूबने के बाद करें. इसके साथ ही कुछ अवांछित कीड़े-मकोड़े भी तालाब में आ जाते हैं उन्हें भी बाहर कर देना चाहिए. इसके लिए वाशिंग पाउडर और वनस्पति तेल 100 एमएल प्रति एकड़ की दर से, वहीं 10 फीसदी साईपरमोथिन या बायोपेरटीसाईड का भी उपयोग कर सकते हैं.
एक एकड़ के तालाब में 50 किलोग्राम चूने का इस्तेमाल करना चाहिए.
एक एकड़ के तालाब में गाय-भैंस, बैल के दो हजार किलोग्राम गोबर का इस्तेमाल करें.
एक एकड़ तालाब में सरसो या राई की 100 किलो खली का इस्तेमाल कर सकते हैं.
एक एकड़ तालाब में 50 किलो यूरिया का इस्तेमाल कर सकते हैं.
पुराने तालाब में यूरिया का इस्तेमाल ना करें.
एक एकड़ तालाब में 100 किलो सिगल सुपर फॉस्फेट का इस्तेमाल करें.
20 किलोग्राम की दर से एक एकड़ तालाब में पोटाश का इस्तेमाल करें.
सूक्ष्म मिनरल मिक्सचर का इस्तेमाल 10 किलो प्रति एकड़ की दर से करें.
ये भी पढ़ें:मदर डेयरी और उत्तराखंड ने लांच किया गिर-बद्री गाय के दूध से बना घी और ट्रेसेबिलिटी सिस्टम
तालाब को एक सप्ताह तक खाली छोड़ दें. तालाब में मछली के बीज डालने से 24 घंटा पहले खाली जाल चला दें. जाल चलाने के बाद 400 ग्राम प्रति एकड़ की दर से पोटाशियम परमेगनेट या अन्य पानी को संक्रमण रहित करने वाली दवा का छिड़काव तालाब में कर दें. मछली के बीज ईयरलिंग यानि (साल भर का बीज) के आकार की बात की जाए तो औसत लंबाई और वजन 150-200 मिमी और 50-100 ग्राम होना चाहिए. बीज डालने का सबसे बेहतर वक्त समय सुबह 8 बजे से 10 बजे तक है. वहीं मछली बीज डालने के महीने की बात की जाए तो फरवरी और जुलाई है. अगर आप साल में दो फसल लेते हैं तो. जैसे 5 महीने के दो फसल चक्र. पहला एक फरवरी से 30 जून और दूसरा जुलाई से 30 नवम्बर तक का होता है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today