Cow-Buffalo: गर्मी-बरसात में जानलेवा है गाय-भैंस की बबेसियोसिस बीमारी, जानें कैसे करें बचाव

Cow-Buffalo: गर्मी-बरसात में जानलेवा है गाय-भैंस की बबेसियोसिस बीमारी, जानें कैसे करें बचाव

गाय-भैंस में होने वाली किलनियों और चीचड़ों से हर एक पशुपालक परेशान रहता है. बबेसियोसिस बीमारी की वजह भी यही दोनों होते हैं. बबेसियोसिस की प्रजातियों में बबेसिया बोविस, बबेसिया मेजर, बबेसिया बाइजेमिया और बबेसिया डाईवरजेन्स शामलि हैं. इस बीमारी से दूध उत्पादन का घटना, ग्रोथ में कमी का होना आम है. 

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गर्मी-बरसात में जानलेवा है गाय-भैंस की बबेसियोसिस बीमारी, जानें कैसे करें बचावअधिक दूध देने के लिए जानी जाती है भैंस की ये नस्ल

अगर गाय-भैंसों को बीमारियों से बचाना है तो उनकी उचित देखभाल बहुत जरूरी है. फिर चाहें मौसम कोई भी हो. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो हर मौसम में कोई न कोई एक-दो बीमारियां ऐसी हैं जो दुधारू पशुओं के लिए जानलेवा साबित होती हैं. ऐसी ही एक बीमारी है बबेसियोसिस. ये खासतौर पर गर्मी और बरसात के मौसम में गाय-भैंस पर ज्यादा अटैक करती है. इसकी एक खास वजह ये भी है कि बबेसियोसिस के कारक पैरासाइट ज्यादा गर्मी और ज्यादा नमी में तेजी से पनपते हैं. इस पैरासाइट के चलते पशुओं में खून की कमी होने लगती है. वहीं दूध उत्पादन घट जाता है. ऐसे में अगर वक्त रहते इस बीमारी के लक्षणों को नहीं पहचाना गया, वक्त से पशु का इलाज शुरू नहीं हुआ तो कई बार पशु की मौत तक हो जाती है. 

क्योंकि ये पैरासाइट पशुओं के खून में चिचड़ियों के माध्यम से प्रवेश कर जाते हैं और रक्त में जाकर लाल रक्त कोशिकाओं में अपनी संख्या बढ़ाने लगते है. इसी वजह से शरीर का हीमोग्लोबिन पेशाब के साथ बाहर निकलने लगता है. जिसके चलते पेशाब का रंग लाल या गहरे भूरे रंग का हो जाता है. एक्सपर्ट के मुताबिक पालतू पशुओं के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले मुख्य ब्लड पैरासाइट बबेसियोसिस और चिलेरियोसिस होते हैं. 

गाय-भैंस में बबेसियोसिस के लक्षण

बबेसियोसिस के चलते पशु खाना-पीना छोड देता है. 
बबेसियोसिस की वजह से ही दूध उत्पादन घट जाता है. 
बबेसियोसिस से पीडि़त पशु को तेज बुखार आ जाता है.
खून की कमी, हदय की धड़कन बढ़ना और पीलिया हो जाता है. 
पीडि़त पशु लाल या फिर ब्रॉउन कलर का पेशाब करता है. 
बबेसियोसिस पीडि़त पशु को खूनी दस्त की शि‍कायत हो जाती है. 
बीमारी बढ़ने पर वक्त से इलाज नहीं मिले तो 90 फीसद केस में पशु की मौत हो जाती है. 

बबेसियोसिस पीडि़त का ऐसे करें इलाज

बबेसियोसिस संक्रमित पशु के लक्षणों के आधार पर इलाज शुरू कराएं.
अपने क्षेत्र में किलनियों-चिचढ़ो के प्रसार को रोकने के बारे में जागरुकता फैलाएं.
जो भी पशु थोड़ा भी बीमार दिखें तो उनके खून की जांच कराएं. 
पशुचिकित्सक की सलाह से डाईमिनेजीन, एसीट्‌यूरेट, ऑक्सीट्टासाइक्लिन एंटीबायोटिक और खून बढ़ाने वाली दवाई देनी चाहिए.

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